Blinkit, Zepto जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियों की 10 मिनट डिलीवरी सर्विस पर पूर्ण बैन का कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन केंद्र सरकार, CCI और उपभोक्ता मंत्रालय ने सख्ती बढ़ा दी है। गिग वर्कर्स की सुरक्षा, प्रेडेटरी प्राइसिंग, मिसलीडिंग ऐड्स और लोकल रिटेलर्स को नुकसान जैसे मुद्दों से रेगुलेशन की आशंका तेज हो गई है।
गिग वर्कर्स की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा
आम आदमी पार्टी सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में 10 मिनट डिलीवरी को “क्रूरता” बताते हुए बैन की मांग की। उनका तर्क: डिलीवरी बॉय रोबोट नहीं, वे पिता/भाई हैं; ट्रैफिक, रोड एक्सीडेंट के दबाव में जान जोखिम में डालते हैं। लेट होने पर कस्टमर हरासमेंट और पेमेंट कट भी आम शिकायत। लेबर कोड्स के तहत कंपनियों पर 5% से ज्यादा सोशल सिक्योरिटी खर्च सीमित।
प्रेडेटरी प्राइसिंग और लोकल रिटेलर्स की शिकायत
FMCG डिस्ट्रीब्यूटर्स (AICPDF) ने CCI को शिकायत की कि Blinkit, Zepto, Instamart डीप डिस्काउंट से लोकल दुकानों को बर्बाद कर रहे। एक्सक्लूसिव सप्लायर डील्स से अनफेयर एडवांटेज। DPIIT ने CCI को जांच सौंपी। CCI ने मार्केट डोमिनेंस, प्राइसिंग स्ट्रैटेजी पर अतिरिक्त डिटेल्स मांगे।
मिसलीडिंग ऐड्स और डिस्क्लोजर उल्लंघन
कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री (CCPA) ने कंपनियों से डेटा मांगा कि क्या वाकई 10 मिनट में डिलीवरी होती है। मीडियन टाइम 14 मिनट से ज्यादा तो ऐड चेंज करो। पैकेज्ड गुड्स पर MRP, एक्सपायरी डेट, मैन्युफैक्चरर डिटेल्स न दिखाने पर नोटिस। 11 प्लेटफॉर्म्स (Blinkit, Zepto सहित) पर कार्रवाई।
दवा डिलीवरी पर स्पीड vs सेफ्टी चिंता
10 मिनट में प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की डिलीवरी से एंटीबायोटिक मिसयूज, वेरिफिकेशन की कमी। डॉक्टर्स ने चेतावनी दी कि स्पीड सेफ्टी से ऊपर नहीं।
क्या होगा आगे?
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पूर्ण बैन की बजाय न्यूनतम डिलीवरी टाइम (15-30 मिनट), गिग वर्कर्स के लिए इंश्योरेंस/सोशल सिक्योरिटी अनिवार्य, प्राइसिंग कैप और डिस्क्लोजर सख्ती संभावित।
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क्विक कॉमर्स ग्रोथ (18-35 आयु वर्ग में हाई अडॉप्शन) के बावजूद रेगुलेशन अनिवार्य। 2025 में CCI/CCPA की जांच तेज।
