नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हाल में इंडिगो की भारी उड़ान रद्दीकरण और देरी के बीच कुछ एयरलाइंस द्वारा टिकटों के दाम कई गुना बढ़ाने की शिकायतों को बेहद गंभीरता से लिया है। मंत्रालय का मानना है कि मौजूदा अव्यवस्था का फायदा उठाकर यात्रियों से मनमाना किराया वसूलना “ऑपर्चुनिस्टिक प्राइसिंग” है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है मौजूदा अव्यवस्था और शिकायतें?
इंडिगो की पायलट ड्यूटी और क्रू मैनेजमेंट से जुड़ी दिक्कतों के कारण बीते कुछ दिनों में सैकड़ों उड़ानें रद्द या बुरी तरह लेट हुईं, जिससे कई रूट पर सीटों की भारी कमी हो गई। मांग और आपूर्ति के इस असंतुलन के बीच दूसरी एयरलाइंस के कई रूट पर टिकट कीमतें सामान्य से कई गुना तक बढ़ गईं, खासकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे मेट्रो सेक्टरों पर। सोशल मीडिया और उपभोक्ता मंचों पर शिकायतें आईं कि कुछ रूट पर इकोनॉमी किराया अचानक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइटों जैसा महंगा हो गया।
यही शिकायतें मंत्रालय तक पहुंचीं, जिसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि उसने “असामान्य रूप से बढ़े हुए किराए” और यात्रियों के शोषण की आशंका को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।
सरकार क्या कदम उठा रही है?
मंत्रालय ने अपने नियामकीय अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सभी एयरलाइंस के लिए अस्थायी किराया-सीमा (fare caps) लगा दी है।
DGCA के जरिए एयरलाइंस को निर्देश दिया गया है कि वे निर्धारित किराया बैंड के भीतर ही टिकट बेचें और किसी भी रूट पर असामान्य उछाल न होने दें।
मंत्रालय ने साफ चेतावनी दी है कि अगर कोई कंपनी इन सीमा-रेखाओं का उल्लंघन करती पाई गई तो उसके खिलाफ तुरंत सुधारात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने ये भी कहा है कि ये फेयर कैप तब तक लागू रहेंगे जब तक उड़ानों का संचालन सामान्य स्तर पर वापस नहीं आ जाता और अव्यवस्था कम नहीं हो जाती।
इसके साथ ही इंडिगो और अन्य एयरलाइंस को निर्देश दिया गया है कि रद्द या बाधित उड़ानों के सभी लंबित रिफंड तय समय-सीमा के भीतर पूरे किए जाएं और इस दौरान रीशेड्यूलिंग फीस भी न वसूली जाए।
यात्रियों के हित में यह कदम क्यों अहम है?
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस पूरी कवायद का मुख्य उद्देश्य मूल्य अनुशासन बनाए रखना, संकट की स्थिति में यात्रियों के शोषण को रोकना और विशेष रूप से बुजुर्गों, छात्रों और मरीजों जैसे संवेदनशील यात्रियों को आर्थिक बोझ से बचाना है, जिन्हें आपात यात्रा की जरूरत होती है। सरकार ने कहा है कि वह रियल-टाइम डेटा के जरिए किराया ट्रेंड मॉनिटर करेगी और ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स पर भी नजर रखेगी, ताकि किसी भी रूप में “सर्ज प्राइसिंग” सामान्य से आगे न बढ़ सके।
