Prashant Kishor: नेताओं के जीत के सेनापति अपनी ही चुनावी जंग हार गए

Prashant Kishor: जन सुराज पार्टी के लिए किशोर ने जनसंवाद यात्रा, जनता से प्रत्यक्ष जुड़ाव और प्रणालीगत बदलाव के बड़े-बड़े वादे किए, किंतु जनता के विश्वास को वोट में नहीं बदल पाए।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक बड़ा दिलचस्प मोड़ देखने को मिला जब कई बड़े नेताओं को चुनाव जीत दिलाने वाले मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर अपनी ही चुनावी जंग हार गए। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जिन्होंने कभी जेडीयू से लेकर कांग्रेस, टीएमसी और बीजेपी जैसी पार्टियों को जमीन पर जीत दिलाने के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी, इस बार खुद अपने बनाए “एकला चलो” फॉर्मूले के साथ मैदान में उतरे थे। लेकिन चुनावी नतीजों से साफ हो गया कि उनकी रणनीति, स्वयं के लिए उतनी प्रभावशाली नहीं रही जितनी दूसरों के लिए रही थी।

प्रशांत किशोर: चेहरे से रणनीतिकार की छवि तक

प्रशांत किशोर की पहचान देशभर में चुनाव जीताने वाले रणनीतिकार के रूप में रही है। वह पीएम मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और जगन मोहन रेड्डी समेत कई नेताओं के इलेक्शन कैंपेन का हिस्सा रह चुके हैं और इन्हें बड़ी जीत दिलाई। लेकिन इस बार जब उन्होंने खुद मैदान में उतर कर ‘एकला चलो’ की रणनीति अपनाई, तो उनका यह अनुभव सियासी मैदान में कारगर नहीं साबित हुआ।
जन सुराज पार्टी के लिए किशोर ने जनसंवाद यात्रा, जनता से प्रत्यक्ष जुड़ाव और प्रणालीगत बदलाव के बड़े-बड़े वादे किए, किंतु जनता के विश्वास को वोट में नहीं बदल पाए।

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