वायु प्रदूषण से कितनी मौतें? मंत्री जी बोले “हमारे पास नहीं है कोई वैध आंकड़ा”

राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने साफ कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई “वैध और प्रत्यक्ष” डेटा नहीं है, जिससे केवल वायु प्रदूषण को ही मौतों या बीमारियों का सीधा कारण साबित किया जा सके।​

राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वर्ष 2022 में वायु प्रदूषण के कारण 17 लाख लोगों की मौत और देश के GDP को 9.5% तक का नुकसान हुआ, जैसा कुछ अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में दावा किया गया है। जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने साफ कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई “वैध और प्रत्यक्ष” डेटा नहीं है, जिससे केवल वायु प्रदूषण को ही मौतों या बीमारियों का सीधा कारण साबित किया जा सके।​

सरकार ने क्या कहा?

केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में बताया कि देश में मृत्यु प्रमाणपत्र या स्वास्थ्य रिकॉर्ड इस तरह नहीं बनाए जाते कि किसी मौत का एकमात्र कारण “वायु प्रदूषण” दर्ज हो सके, इसलिए यह कहना संभव नहीं कि फलाँ वर्ष में प्रदूषण से कितनी मौतें हुईं।​

उन्होंने माना कि वायु प्रदूषण सांस संबंधी और उनसे जुड़ी बीमारियों के “महत्वपूर्ण ट्रिगर” में से एक है और स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर पड़ता है, लेकिन इसे अलग–थलग कर के केवल प्रदूषण की वजह से हुई मौतों की गिनती करना वैज्ञानिक रूप से कठिन है।​

GDP में 9.5% नुकसान के सवाल पर भी मंत्री ने कहा कि सरकार ने ऐसा कोई आधिकारिक आकलन नहीं किया है, और जिन रिपोर्टों का हवाला दिया जा रहा है, वे बाहरी संस्थाओं के मॉडल–आधारित अनुमान हैं, जिन्हें सरकार ने आधिकारिक रूप से न तो स्वीकार किया है और न ही खारिज करने पर कोई टिप्पणी की है।​

प्रदूषण और स्वास्थ्य को लेकर सरकार के कार्यक्रम

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभावों को देखते हुए सरकार ने 2019 से “नेशनल प्रोग्राम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ (NPCCHH)” लागू किया है।​

इसके तहत देशभर में स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी, डॉक्टरों–पैरामेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग, और आम जनता के लिए अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।

NPCCHH के अंतर्गत “हेल्थ अडैप्टेशन प्लान” और सभी 36 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के लिए “स्टेट एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ” तैयार किए गए हैं, जिनमें वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय और हस्तक्षेप भी शामिल हैं।​

स्वास्थ्य मंत्रालय समय–समय पर वायु प्रदूषण के खतरों और बचाव के उपायों पर सार्वजनिक सलाह (advisories) जारी करता है, खास तौर पर सर्दियों और स्मॉग सीज़न के दौरान।​

प्रदूषण नियंत्रण के लिए अन्य प्रमुख कदम

मंत्री ने अपने उत्तर में केंद्र सरकार की कुछ प्रमुख योजनाओं का भी उल्लेख किया:

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) – पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अगुवाई में 2019 से चल रहा यह कार्यक्रम 131 से अधिक शहरों में PM10/PM2.5 स्तर में 2024 तक 20–30% की कटौती का लक्ष्य लेकर काम कर रहा है।​

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) – गरीब परिवारों को LPG कनेक्शन देकर ठोस ईंधन (लकड़ी, गोबर, कोयला) के धुएं से बचाने और महिलाओं–बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने का प्रयास।​

स्वच्छ भारत मिशन – शहर, कस्बों और गांवों की सफाई, कूड़ा प्रबंधन और खुले में कचरा जलाने जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाकर अप्रत्यक्ष रूप से वायु गुणवत्ता सुधारने की कोशिश।​

इसके अलावा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून), अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस (7 सितंबर) और राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (2 दिसंबर) पर देशभर में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों और उनके बचाव पर विशेष सामग्री प्रसारित की जाती है।

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