केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने संसद में पेश आंकड़ों से जाहिर किया है कि भारत में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज असेसमेंट 2025 के अनुसार, वार्षिक भूजल रिचार्ज 448.52 अरब घन मीटर (bcm) है, जबकि एक्सट्रैक्टेबल संसाधन 407.75 bcm हैं। 2025 में 247.22 bcm निकाला गया, जो राष्ट्रीय एक्सट्रैक्शन स्तर को 60.6% तक ले गया।
संसद में पेश भयावह आंकड़े
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) के आकलन में देश के 6,762 आकलन इकाइयों (ब्लॉक, तहसील आदि) में से 730 ओवर-एक्सप्लॉइटेड, 201 क्रिटिकल, 758 सेमी-क्रिटिकल और 1,067 वार्निंग श्रेणी में हैं। पंजाब (156%), राजस्थान (147%) और दिल्ली (92%) सबसे प्रभावित हैं। 54% कुओं में जल स्तर गिरा है।
सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु और दिल्ली में एक्सट्रैक्शन रिचार्ज से ज्यादा है। कर्नाटक में 66.49%, महाराष्ट्र में 51.79% एक्सट्रैक्शन है। दक्षिणी राज्यों में क्रिस्टलाइन एक्विफर्स कम स्टोरेज के कारण संकट गहरा है। 21 शहरों जैसे दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई में ‘डे जीरो’ का खतरा।
गिरावट के प्रमुख कारण
87% भूजल सिंचाई, 11% घरेलू उपयोग और 2% उद्योग पर खर्च होता है। शहरीकरण, अनियमित बोरवेल, मानसून की कमी (2023 में 5.6% डेफिसिट) और जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार हैं। 2080 तक डिप्लेशन ट्रिपल हो सकता है।
प्रदूषण की अतिरिक्त समस्या
कई इलाकों में आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट और क्लोराइड से प्रदूषण। CGWB की वार्षिक रिपोर्ट में कुछ क्षेत्रों में पीने योग्य भूजल सीमित है।
सरकारी प्रयास और चुनौतियां
जल जीवन मिशन (JSA) ओवर-एक्सप्लॉइटेड क्षेत्रों पर फोकस कर रहा है। करोड़ों जल संरचनाएं बनीं, लेकिन सिर्फ 54% कुओं में सुधार। NITI आयोग ने रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और मार्केट-बेस्ड इंटरवेंशन्स सुझाए।
