भारत में कोडीन कफ सिरप की इंटरनेशनल तस्करी के खिलाफ छापेमारी और जांच के बाद कई कंपनियों के लाइसेंस रद्द और निलंबित कर दिए गए हैं। ड्रग कंट्रोल अथॉरिटीज़ ने पाया कि ये फर्में कोडीन युक्त कफ सिरप का अवैध भंडारण, फर्जी बिलिंग और बिना वैध प्रिस्क्रिप्शन के बड़े पैमाने पर सप्लाई कर रही थीं, जिसका नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय तस्करी से जुड़ता दिखा।
कोडीन कफ सिरप और इंटरनेशनल तस्करी का मामला
कोडीन (Codeine) एक नियंत्रित नशीला पदार्थ है, जो कफ सिरप में सीमित मात्रा में दर्द/खांसी दबाने के लिए उपयोग होता है, लेकिन बड़ी मात्रा में इसका इस्तेमाल नशे और स्मगलिंग के लिए किया जाता है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी और गोरखपुर समेत कई ज़िलों में चल रहे बड़े रैकेट में कोडीन युक्त कफ सिरप की लाखों बोतलें फर्जी डिस्ट्रीब्यूशन चैन और बोगस फर्मों के ज़रिए नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों तक भेजे जाने के इनपुट मिले।
ड्रग विभाग ने जांच में पाया कि कई फार्मा/डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियाँ सिर्फ कागज़ों पर चल रही थीं, स्टॉक रजिस्टर, सेल रिकॉर्ड और खपत डेटा में भारी गड़बड़ियाँ थीं और असली सप्लाई काले बाज़ार व तस्करों को जा रही थी।
इनपुट के आधार पर NCB, राज्य पुलिस और ड्रग कंट्रोलर की संयुक्त कार्रवाई में कई गोदामों से कोडीन सिरप की खेप बरामद हुई, जिसके बाद संबंधित फर्मों के लाइसेंस की समीक्षा शुरू हुई।
किन कंपनियों पर हुई कड़ी कार्रवाई?
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के Rule 66 के तहत राज्य दवा नियंत्रक ने उन कंपनियों/मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रद्द या निलंबित कर दिए, जिनके खिलाफ ठोस सबूत मिले।
गोरखपुर में की गई स्पेशल ड्राइव में दो मेडिकल स्टोर के रिटेल/व्होलसेल लाइसेंस रद्द और पाँच दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए, क्योंकि इनके यहाँ कोडीन सिरप और ट्रामाडोल का अवैध स्टॉक, फर्जी बिल और बिना प्रिस्क्रिप्शन की बिक्री पकड़ी गई।
वाराणसी में कोडीन कफ सिरप तस्करी केस में पहले 26 और बाद में 12 और फार्मा फर्मों के खिलाफ केस दर्ज किए गए; जिन कंपनियों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया या जाँच में सहयोग नहीं किया, उनके लाइसेंस कैंसिलेशन/सस्पेंशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
केंद्र सरकार ने पहले से ही कोडीन-आधारित कफ सिरप को “फेज आउट” करने और इन पर सख्त नियमन बढ़ाने की नीति संकेतित की थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय दबाव और WHO की ओर से भारत-निर्मित कफ सिरप पर उठे सवालों के बाद और कड़ा किया जा रहा है।
क्यों रद्द किया गया लाइसेंस – मुख्य कारण
जांच रिपोर्टों में कुछ प्रमुख उल्लंघन सामने आए:
प्रिस्क्रिप्शन ड्रग होने के बावजूद बिना डॉक्टर की पर्ची के बड़े पैमाने पर बिक्री।
स्टॉक और सेल रजिस्टर में बड़ा अंतर, माइनस स्टॉक, फर्जी बिलिंग और बोगस कंपनियों के नाम पर सप्लाई।
माल की खरीदी भारत में दिखाकर ‘डाइवर्जन’ के ज़रिए इंटरनेशनल रूट पर तस्करों को भेजना, जिससे NDPS एक्ट और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट दोनों का उल्लंघन होता है।
ड्रग कंट्रोल अधिकारियों ने साफ कहा है कि कोडीन जैसे नशीले तत्वों के गलत उपयोग पर “ज़ीरो टॉलरेंस” रखा जाएगा और जो भी कंपनी या मेडिकल स्टोर इंटरनेशनल या इंटर-स्टेट तस्करी की चेन में शामिल पाए जाएंगे, उनके लाइसेंस रद्द कर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।



