NMC Crackdown on Doctor Prescriptions: अक्सर मरीजों को डॉक्टर की पर्ची देखकर सबसे ज्यादा परेशानी होती है। दवा लिखी तो होती है, लेकिन समझ में कुछ नहीं आता। कई बार तो फार्मासिस्ट भी डॉक्टर की लिखावट पढ़ने में असमर्थ हो जाते हैं। इसी वजह से मरीजों को गलत दवा मिलने, इलाज में देरी होने और गंभीर खतरे तक का सामना करना पड़ता है। अब इस समस्या पर लगाम लगाने की तैयारी हो गई है।
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने इस दिशा में बड़ा और अहम फैसला लिया है। आयोग के नए आदेश के अनुसार अब डॉक्टरों को साफ, स्पष्ट और पढ़ने योग्य पर्ची लिखना अनिवार्य होगा। मनमानी या अस्पष्ट लिखावट अब स्वीकार नहीं की जाएगी। इसके लिए देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में एक विशेष उप-समिति बनाई जाएगी, जो डॉक्टरों की प्रिस्क्रिप्शन पर्चियों की निगरानी करेगी।
एनएमसी का मानना है कि खराब लिखावट वाली पर्चियां मरीजों के लिए बड़ा खतरा बन चुकी हैं। ऐसी पर्चियों की वजह से गलत दवा दी जा सकती है, सही खुराक नहीं मिल पाती और इलाज में देरी होती है। कई मामलों में तो मरीज की जान तक जोखिम में पड़ जाती है। इसी कारण आयोग ने इस विषय को गंभीरता से लिया है।
एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों को निर्देश दिया है कि वे ड्रग्स एंड थेरैप्यूटिक्स कमेटी (DTC) के तहत एक उप-समिति बनाएं। यह समिति ऐसी पर्चियों की पहचान करेगी, जो नियमों के मुताबिक नहीं होंगी। डॉक्टरों को सुधार की सलाह दी जाएगी और इसकी जानकारी आयोग को भेजी जाएगी।
इस फैसले के पीछे अदालत की सख्ती भी एक बड़ी वजह रही है। हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि साफ और पढ़ने योग्य पर्ची मरीज के स्वास्थ्य के अधिकार का हिस्सा है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है। कोर्ट ने यह भी माना कि नियम पहले से मौजूद हैं, लेकिन उनका सही पालन नहीं हो रहा।
मैक्स हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आनंद पांडेय के अनुसार, कई डॉक्टरों की लिखावट इतनी खराब होती है कि केमिस्ट भी दवाओं का नाम, मात्रा और समय ठीक से नहीं समझ पाते। इससे मरीज को गलत दवा या गलत खुराक मिलने का खतरा बढ़ जाता है।
एनएमसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब मेडिकल छात्रों को पढ़ाया जाएगा कि पर्ची कैसे साफ और सही तरीके से लिखी जाए। नियमों के अनुसार दवाएं जेनेरिक नाम से और संभव हो तो बड़े अक्षरों में लिखनी चाहिए। यह नियम पहले भी था, लेकिन अब इसे सख्ती से लागू किया जाएगा।
अगर किसी मरीज को बिना साफ जानकारी वाली पर्ची दी जाती है, या उस पर डॉक्टर का नाम और पंजीकरण नंबर नहीं लिखा होता, तो वह मेडिकल काउंसिल या जिला स्वास्थ्य अधिकारी से शिकायत कर सकता है।
आयोग ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन और इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड से इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है। हालांकि, तब तक हाथ से लिखी पर्चियों में साफ-सफाई और स्पष्टता बेहद जरूरी होगी।
