ओमान से भारत को मिलेंगे रिटायर्ड जगुआर फाइटर जेट: IAF को मिलेगी ताकत, द वॉर जोन रिपोर्ट में खुलासा

ओमान रॉयल एयर फोर्स (RAFO) के रिटायर्ड जगुआर फाइटर जेट्स भारत को सौंपेगी। ये विमान IAF में शामिल होकर स्क्वाड्रन की संख्या बढ़ाने और ट्रेनिंग में सहायक साबित होंगे।

भारतीय वायुसेना (IAF) को जल्द ही एक महत्वपूर्ण सैन्य सहयोग का लाभ मिलने वाला है। द वॉर जोन की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत और ओमान के बीच एक गोपनीय समझौता हुआ है, जिसके तहत ओमान रॉयल एयर फोर्स (RAFO) के रिटायर्ड जगुआर फाइटर जेट्स भारत को सौंपेगी। ये विमान IAF में शामिल होकर स्क्वाड्रन की संख्या बढ़ाने और ट्रेनिंग में सहायक साबित होंगे। यह सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने का प्रतीक है।

जगुआर जेट्स का इतिहास और वर्तमान स्थिति

जगुआर (SEPECAT Jaguar) एक एंग्लो-फ्रेंच ग्राउंड अटैक विमान है, जिसे 1970 के दशक में भारत ने ब्रिटेन और फ्रांस से प्राप्त किया था। IAF के पास मूल रूप से 160 से अधिक जगुआर थे, जो अब घटकर लगभग120 रह गए हैं। ओमान ने 1980 के दशक में 24 जगुआर खरीदे थे, जिनमें से अधिकांश अब रिटायर्ड हो चुके हैं। द वॉर जोन रिपोर्ट में कहा गया है कि अज्ञात संख्या (संभावित 12-18 विमान) में ये जेट्स भारत को ट्रांसफर होंगे, जो RAFO की फ्लीट अपग्रेडिंग का हिस्सा हैं। ये विमान हाल ही में उन्नत रखरखाव के बाद हैं, इसलिए तुरंत उपयोग योग्य।

समझौते का उद्देश्य और प्रक्रिया

द वॉर जोन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह ट्रांसफर ‘गिफ्ट’ या न्यूनतम लागत पर होगा, बिना किसी बड़े वित्तीय बोझ के। IAF इन्हें गोरखपुर या जमशेदपुर जैसे बेस पर तैनात करेगी, जहां पहले से जगुआर स्क्वाड्रन सक्रिय हैं। प्रक्रिया में विमानों का फेर्री उड़ान से भारत लाना, HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) द्वारा अपग्रेडेशन और एकीकरण शामिल है। ओमान ने पहले भी भारत को MiG-29 जैसे विमान ट्रांसफर किए हैं, जो इस सौदे का आधार है।

IAF के लिए रणनीतिक महत्व

IAF वर्तमान में 30 स्क्वाड्रन की कमी झेल रही है, जबकि अधिकृत संख्या 42 है। जगुआर फ्लीट का सेवानिवृत्ति 2029-30 के आसपास निर्धारित है, लेकिन ये अतिरिक्त जेट्स ट्रेनिंग, स्पेयर पार्ट्स और ब्रिजिंग रोल के रूप में काम करेंगे। जगुआर की ग्राउंड स्ट्राइक क्षमता, विशेषकर रडार-एवॉइडिंग लो-लेवल फ्लाइट में अब भी प्रभावी है। HAL DARIN-III अपग्रेड से ये AESA रडार, नई एवियोनिक्स और हथियारों से लैस हो चुके हैं। ओमान के जगुआर भी इसी स्टैंडर्ड के करीब होने से एकीकरण आसान होगा।

भारत-ओमान रक्षा संबंधों का विस्तार

भारत और ओमान के बीच रक्षा सहयोग 2008 के सैन्य सहयोग समझौते से मजबूत हुआ है। ओमान ने 2018 में भारत को 10 MiG-29 दान किए थे। हाल ही में दोनों देशों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘अल नग्म’ बढ़ाया है। PM मोदी की 2024 ओमान यात्रा के बाद रक्षा निर्यात और ट्रांसफर पर फोकस बढ़ा। यह सौदा IAF की क्षमता बढ़ाने के साथ भारत की मिडिल ईस्ट में स्ट्रैटेजिक पोजीशन मजबूत करेगा।

चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

ट्रांसफर में लॉजिस्टिक्स, पार्ट्स सप्लाई और क्रू ट्रेनिंग चुनौतियां हैं, लेकिन HAL की विशेषज्ञता से इन्हें हल किया जा सकता है। भविष्य में TEJAS Mk-1A जैसे स्वदेशी जेट्स जगुआर की जगह लेंगे, लेकिन तब तक ये विमान महत्वपूर्ण रहेंगे। द वॉर जोन ने इसे ‘स्मार्ट डिप्लोमेसी’ बताया, जो भारत की पुराने हार्डवेयर को नए जीवन देने की रणनीति दर्शाता है।

यह सौदा न केवल IAF को तात्कालिक राहत देगा, बल्कि भारत-ओमान संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान करेगा।

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