Rahul Gandhi Lok Sabha speech on Air Pollution: राहुल गांधी ने लोकसभा में वायु प्रदूषण को “स्वास्थ्य आपातकाल” जैसा मुद्दा बताते हुए कहा कि इस पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर गंभीर, विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और प्रधानमंत्री को हर शहर के लिए अगले 5–10 साल का अलग–अलग एक्शन प्लान लेकर आना चाहिए। उनके मुताबिक, भले ही समस्या पूरी तरह खत्म न हो पाए, लेकिन यह स्पष्ट होना चाहिए कि समाधान की दिशा में क्या ठोस कदम उठेंगे और लोगों की ज़िंदगी कैसे आसान होगी।
राहुल गांधी ने क्या कहा?
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश के ज्यादातर बड़े शहर “ज़हरीली हवा की चादर” के नीचे जी रहे हैं, लाखों बच्चे फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे हैं, कैंसर और सांस की बीमारियाँ बढ़ रही हैं और बुजुर्गों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह “वैचारिक नहीं, मानवीय” मुद्दा है, जिस पर सरकार और विपक्ष दोनों की सहमति है, इसलिए मिलकर काम करने की जरूरत है, न कि एक–दूसरे को दोष देने की।
राहुल ने लोकसभा अध्यक्ष से तुरंत विस्तृत चर्चा कराने की मांग की और कहा कि संसद में राष्ट्रीय स्तर पर साफ हवा के अधिकार, हेल्थ इमरजेंसी प्रोटोकॉल और कानूनी रूप से बाध्यकारी क्लीन एयर मिशन जैसे मुद्दों पर ठोस निर्णय होने चाहिए।
हर शहर के लिए अलग प्लान की मांग
राहुल गांधी का मुख्य सुझाव था कि प्रधानमंत्री स्वयं संसद में खड़े होकर हर शहर के लिए अलग–अलग रोडमैप पेश करें, जिसमें अगले 5 या 10 वर्षों के लिए स्पष्ट लक्ष्य और टाइमलाइन हो। उन्होंने कहा कि “शायद हम 5–10 साल में समस्या पूरी तरह खत्म न कर पाएं, लेकिन यह तो पता होना चाहिए कि रास्ता क्या है, कौन–कौन से कदम उठेंगे, और हमारी जनता की जिंदगी कैसे बेहतर होगी।”
कांग्रेस और विपक्ष इस प्लान तैयार करने में सरकार के साथ सहयोग करने को तैयार हैं, बशर्ते सरकार “तुरंत, सख्त और लागू करने योग्य” राष्ट्रीय एक्शन प्लान लाए, न कि सिर्फ सलाह और कमेटियों तक सीमित रहे।
उनकी मांग में शहर–वार एक्शन प्लान के साथ–साथ प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकता मानने, प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त जवाबदेही तय करने और बच्चों–संवेदनशील समूहों के लिए विशेष प्रोटोकॉल बनाने की बात भी शामिल थी।
दिल्ली–एनसीआर और देशभर की स्थिति का संदर्भ
बहस के दिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 330–380 के बीच ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज हुआ, जबकि जहांगirpuri जैसे इलाकों में AQI 400 से ऊपर ‘सीवियर’ ज़ोन तक पहुंचा हुआ था। राहुल ने इसे उदाहरण के तौर पर लेते हुए कहा कि यह सिर्फ दिल्ली की नहीं, लखनऊ, पटना, मुंबई, बंगलुरु और देश के दूसरे शहरों की सामूहिक त्रासदी है, जहाँ विकास, औद्योगिक विस्तार और खराब शहरी योजना के बीच साफ हवा नागरिकों का बुनियादी अधिकार नहीं रह गई है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब वैज्ञानिक प्रमाण साफ बता रहे हैं कि प्रदूषण कैंसर, किडनी, दिल और मेटाबोलिक बीमारियों (जैसे डायबिटीज) का जोखिम बढ़ाता है, तब सरकार इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकता मानकर सख्त कानून, साफ लक्ष्य और जवाबदेही की व्यवस्था क्यों नहीं बना रही।
