चांदी की कीमतों ने 2025 में जबरदस्त रैली दिखाते हुए नया इतिहास रच दिया है। हाल के सौदों में चांदी लगभग 7,500 रुपये की एक दिन की छलांग के साथ करीब 1.86 लाख रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई और साल भर में इसमें लगभग 1 लाख रुपये प्रति किलो तक की बढ़त दर्ज हुई है।
कितना उछला भाव, कितने का हुआ ऑलटाइम हाई?
1 दिसंबर 2025 को रिटेल मार्केट में चांदी 1,88,000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी थी, जो उस समय का ऑलटाइम हाई था; इसमें एक सत्र में ही करीब 3,000 रुपये की तेजी देखी गई। पिछले साल 2024-25 में चांदी का स्तर लगभग 89,000 रुपये प्रति किलो के आसपास था, यानी मौजूदा 1.86–1.90 लाख रुपये प्रति किलो के दायरे से तुलना करें तो साल भर में चांदी करीब 1 लाख रुपये प्रति किलो महंगी हो चुकी है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर मार्च 2026 के कॉन्ट्रैक्ट्स भी 1.84–1.87 लाख रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर पार कर चुके हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक घरेलू बाजार में चांदी के भावों में तेज उछाल की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय मार्केट में सिल्वर का रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचना और रुपये का डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर के आसपास ट्रेड करना है।
इतनी तेज़ी के पीछे क्या वजहें हैं?
कमोडिटी रिसर्च रिपोर्टों के अनुसार, 2025 में चांदी की रैली कई ग्लोबल फैक्टर्स से संचालित है:
अंतरराष्ट्रीय बाजार (COMEX) में सिल्वर 59–60 डॉलर प्रति औंस से ऊपर के नए ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुकी है, जो एक साल में 70–90% तक की उछाल को दर्शाता है।
अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, डॉलर इंडेक्स की कमजोरी और मंदी की आशंकाओं के बीच इन्वेस्टर्स की “सेफ–हेवन” डिमांड बढ़ी है।
ग्रीन इकोनॉमी (सोलर पैनल, EVs, इलेक्ट्रॉनिक्स) में चांदी की औद्योगिक मांग तेज़ी से बढ़ रही है, जबकि नई खदानों की सप्लाई अपेक्षाकृत सीमित है; विश्लेषक इसे “स्ट्रक्चरल बुल मार्केट” बता रहे हैं, महज़ स्पेकुलेटिव साइकिल नहीं।
भारतीय बाजार में रुपये की कमजोरी (90 के आसपास प्रति डॉलर) और इम्पोर्ट–ड्यूटी की वजह से अंतरराष्ट्रीय भावों का पूरा असर सीधे–सीधे खुदरा चांदी के दामों में दिख रहा है।
निवेशकों और ज्वेलरी खरीदारों के लिए संकेत
विश्लेषक मानते हैं कि:
जिन्होंने पिछले साल 80–90 हजार रुपये प्रति किलो के आसपास चांदी खरीदी थी, उनके लिए वर्तमान भाव पर होल्डिंग पर शानदार रिटर्न (लगभग 100% तक) दिख रहा है।
नई खरीद वालों के लिए सलाह है कि छोटे–छोटे ट्रांच में SIP की तरह निवेश करें, क्योंकि भाव पहले ही ऑलटाइम हाई के पास हैं और किसी भी वैश्विक सुधार या फेड नीति में बदलाव पर मुनाफावसूली से शॉर्ट–टर्म करेक्शन आ सकता है।
ज्वेलरी या बर्तनों के लिए चांदी खरीदने की सोच रहे खुदरा ग्राहकों पर लागत का सीधा असर है, क्योंकि दुकानों में मेकिंग चार्ज और GST जोड़ने के बाद प्रति किलो रेट स्पॉट से और ऊपर बैठता है।
कमोडिटी एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अगर डॉलर और ब्याज दरों में सॉफ्टनेस जारी रहती है और ग्रीन–इंडस्ट्री की मांग बनी रहती है, तो आने वाले महीनों में 2 लाख रुपये प्रति किलो का स्तर भी दूर नहीं, हालांकि इस ऊंचाई पर उतार–चढ़ाव (वोलैटिलिटी) पहले से ज़्यादा रहेगी।

