Labour Law: लेबर कोड में 10 बड़े बदलाव: वेतन, सुरक्षा और छुट्टियों के नए नियम

पिछले कुछ वर्षों में श्रम कानूनों को सशक्त, पारदर्शी एवं आधुनिक बनाने की शुरूआत की गई है। नए लेबर कोड में 'Industrial Relations', 'Wages', 'Occupational Safety, Health and Working Conditions' तथा 'Social Security' को चार प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

सरकार द्वारा नए लेबर कोड में किए गए बदलाव भारतीय श्रमिकों और नियोक्ताओं के लिए कई नए अवसर और चुनौतियां लेकर आए हैं। पिछले कुछ वर्षों में श्रम कानूनों को सशक्त, पारदर्शी एवं आधुनिक बनाने की शुरूआत की गई है। नए लेबर कोड में ‘Industrial Relations’, ‘Wages’, ‘Occupational Safety, Health and Working Conditions’ तथा ‘Social Security’ को चार प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इनके तहत कुल 44 पुराने श्रम कानूनों को समाहित कर दिया गया है।

लेबर कोड बदलाव की 10 बड़ी बातें

  1. काम का समय (Working Hours):
    नए लेबर कोड के तहत मजदूरों को 8 से 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने का विकल्प, कंपनियां हफ्ते में 48 घंटे ड्यूटी तय कर सकती हैं। ओवरटाइम का भुगतान पहले से ज्यादा मिलेगा।

  2. साप्ताहिक छुट्टी (Weekly Off):
    साप्ताहिक छुट्टी का प्रावधान अनिवार्य किया गया है। यदि कर्मचारी अपने साप्ताहिक ऑफ के दिन काम करता है तो उसे एक्स्ट्रा भुगतान मिलेगा।

  3. अंतर्वेतन और बोनस (Wages and Bonus):
    बेसिक वेतन या सैलरी का कम से कम 50% हिस्सा ‘बेसिक पे’ के रूप में देना अनिवार्य है, जिससे EPF और ग्रेच्युटी में लाभ सीधे जुड़ेगा।

  4. गृहकार्य और रिमोट वर्क (Work From Home):
    सरकारी और निजी क्षेत्र में वर्क फ्रॉम होम या फ्लेक्सी आवर्स का अधिकार, विशेष रूप से आईटी सेक्टर में शामिल किया गया है।

  5. महिलाओं के अधिकार (Women’s Rights):
    महिलाओं को रात में, माइनिंग या निर्माण क्षेत्र में काम करने का अधिकार, लेकिन सुरक्षा व ट्रांसपोर्टेशन सुविधा का प्रावधान अनिवार्य है।

  6. ग्रेच्युटी और पीएफ (Gratuity and PF):
    ग्रेच्युटी का लाभ अब फिक्स्ड टर्म कर्मियों को भी मिलेगा, यानी पांच साल से कम कार्यकाल वालों को भी इसका अधिकार।

  7. संविदा कर्मचारी (Contract Workers):
    ठेका श्रमिकों की सेवा शर्तों व सोशल सिक्योरिटी स्‍कीम्‍स की पारदर्शिता तय की गई।

  8. डिस्प्यूट रेसोलूशन (Labour Dispute Resolution):
    औद्योगिक विवादों के त्वरित समाधान के लिए ‘इंडस्ट्रियल ट्राइब्यूनल’ की संख्या और अधिकार बढ़ाए गए।

  9. SOCIAL SECURITY:
    सभी कर्मचारियों के लिए सोशल सिक्योरिटी (ESI, PF etc.) का दायरा निजी क्षेत्र, गिग एवं प्लैटफॉर्म वर्कर्स तक बढ़ाया गया है।

  10. सुरक्षा और स्वास्थ्य (Safety & Health):
    फैक्ट्री में सुरक्षा मानक, कैंटीन/रुपस्थान/एम्बुलेंस, हेल्थ चेकअप और इंस्पेक्शन की अनिवार्यता

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