भारतीय रेलवे ने अब ट्रेन यात्रियों के लिए सामान को लेकर एयरपोर्ट जैसा सख्त सिस्टम लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। तय सीमा से ज्यादा वजन होने पर अब अतिरिक्त शुल्क देना अनिवार्य होगा और नियमों को पहले से कहीं ज्यादा सख्ती से लागू किया जाएगा।
नया नियम क्या कहता है ?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि हर क्लास के लिए फ्री लगेज अलाउंस और अधिकतम वजन सीमा तय है, और इससे ज्यादा सामान पर शुल्क देना होगा। सेकंड क्लास में 35 किलो तक सामान मुफ्त, जबकि अधिकतम 70 किलो तक सामान शुल्क देकर ले जाया जा सकता है; स्लीपर क्लास में 40 किलो फ्री और 80 किलो तक शुल्क के साथ सीमा रखी गई है। एसी 3 टियर और चेयर कार में 40 किलो तक ही फ्री और अधिकतम सीमा भी वही है, जबकि एसी 2 टियर और फर्स्ट क्लास में क्रमश: 50–100 किलो और 70 किलो फ्री की व्यवस्था है।
कितना लगेगा अतिरिक्त चार्ज
रेलवे ने स्पष्ट किया है कि फ्री अलाउंस से ज्यादा लेकिन अधिकतम सीमा के भीतर सामान ले जाने पर यात्रियों को तय लगेज रेट का 1.5 गुना तक चार्ज देना होगा। बड़े ट्रंक, बोरियां या व्यावसायिक सामान को कोच के अंदर ले जाने पर रोक होगी और ऐसे सामान को केवल पार्सल/लगेज वैन से ही भेजा जा सकेगा।
यात्रियों पर असर और भावनात्मक पक्ष
जो यात्री अब तक ट्रेन को “चलती ट्रॉली” समझकर भारी-भरकम बैग, बोरियों और गट्ठरों के साथ सफर करते थे, उनके लिए यह नियम किसी झटके जैसा है। कई मध्यमवर्गीय और छोटे शहरों के परिवारों के लिए, जो शादी-ब्याह या घर बदलते समय ट्रेन से आधा घर उठा लाते थे, अब हर अतिरिक्त किलो की कीमत चुकानी होगी। रेलवे का तर्क है कि कोच के गलियारों में फैला भारी सामान न सिर्फ दूसरों की सुविधा छीनता है, बल्कि हादसों का कारण भी बनता है; ऐसे में थोड़ी आर्थिक असुविधा के बदले सभी यात्रियों की सुरक्षा और आराम सुनिश्चित करना जरूरी है।
आगे क्या ध्यान रखना होगा
नए नियमों के तहत कई बड़े स्टेशनों पर बैगेज की तौल और स्कैनिंग की व्यवस्था की जा रही है, जहां चढ़ने से पहले ही आपका सामान जांचा जा सकेगा। रेलवे ने अपील की है कि यात्री यात्रा से पहले घर पर ही अपने बैग का वजन और आकार जांच लें, केवल जरूरी सामान लेकर चलें और अगर सामान सीमा से ज्यादा है तो उसे पहले से बुक कराकर पार्सल के रूप में भेजें, ताकि सफर भी सुगम रहे और जेब पर भी अचानक बोझ न पड़े।
