40% GST के बाद भी पान मसाला पर सेस क्यों? आया सरकार का जवाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि यह नया सेस जीएसटी के ऊपर अलग से लगेगा और इसे पान मसाला जैसी ‘डिमेरिट गुड्स’ की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर लगाया जाएगा, न कि उपभोक्ता बिक्री पर।​

सरकार पान मसाला पर 40% जीएसटी के बावजूद नया सेस इसलिए लगा रही है ताकि एक तो ‘सिन गुड्स’ पर ऊंचा टैक्स बोझ बना रहे, और दूसरा, हेल्थ व नेशनल सिक्योरिटी के लिए अलग फंड बनाया जा सके, जो जीएसटी मुआवजा सेस खत्म होने के बाद भी चलता रहे।​

अभी टैक्स स्ट्रक्चर क्या है?

अभी पान मसाला पर 28% जीएसटी के साथ मुआवजा सेस लगता है, जिसे जीएसटी शुरू होने पर राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया था। यह मुआवजा सेस अब कुछ हफ्तों में खत्म होना है, इसके बाद पान मसाला पर जीएसटी दर 40% हो जाएगी और पुराना सेस हट जाएगा। यही वजह है कि सरकार ने नया हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025 लोकसभा से पास कराया है।​

नया सेस क्यों और कैसे लगेगा?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि यह नया सेस जीएसटी के ऊपर अलग से लगेगा और इसे पान मसाला जैसी ‘डिमेरिट गुड्स’ की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर लगाया जाएगा, न कि उपभोक्ता बिक्री पर।​

सेस उत्पादन क्षमता या मशीनों की संख्या के आधार पर होगा, ताकि अंडर-रिपोर्टेड प्रोडक्शन और टैक्स चोरी पर लगाम लग सके।​ इससे मिलने वाला राजस्व हेल्थ सेक्टर और नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ी योजनाओं पर खर्च होगा और इसका एक हिस्सा राज्यों के साथ भी साझा किया जाएगा।​

सरकार का तर्क है कि पान मसाला पर ऊंचा टैक्स बोझ बनाए रखना पब्लिक हेल्थ के लिहाज से भी जरूरी है, इसलिए मुआवजा सेस खत्म होने पर उसी स्तर की कर वसूली बनाए रखने के लिए नया सेस ढांचा लाया गया है।​

उपभोक्ताओं और कंपनियों पर असर

केंद्रीय सरकार कह रही है कि कुल टैक्स बोझ में बड़ा इजाफा नहीं, बल्कि री-स्ट्रक्चरिंग होगी—अब 40% जीएसटी + उत्पादन-आधारित सेस रहेगा, जबकि पहले 28% जीएसटी + मुआवजा सेस था। हालांकि सेस की दर और मशीन-आधारित आकलन के अनुसार कंपनियों की लागत व अनुपालन बोझ बढ़ सकता है, जिसका कुछ असर रिटेल कीमतों पर भी दिख सकता है।

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