डोनाल्ड ट्रंप ने साफ संकेत दिया है कि भारत से आने वाले चावल पर वह नए टैरिफ़ लगा सकते हैं, लेकिन यह अभी “संभावित धमकी” के स्तर पर है, जिस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
ट्रंप ने क्या कहा?
व्हाइट हाउस में अमेरिकी किसानों और अधिकारियों के साथ बैठक में ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत जैसे देश अमेरिकी बाज़ार में “राइस डम्प” कर रहे हैं और इससे US के दक्षिणी राज्यों के चावल उत्पादक बुरी तरह दबाव में हैं। उन्होंने खुले शब्दों में पूछा कि “भारत को ऐसा करने की इजाजत क्यों है, इन्हें टैरिफ़ क्यों नहीं देना पड़ता?” और कहा कि इस पर “टैरिफ़ लगा कर हम ध्यान रखेंगे, वे ऐसा नहीं कर सकते।”
अभी भारत से US को चावल के निर्यात पर पहले से ही लगभग 50% तक कुल ड्यूटी का असर बताया जा रहा है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 2025 में अधिकांश भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगा दिया था; अब चावल पर अलग से अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने की बात हो रही है।
भारत पर वास्तविक असर कितना होगा?
डेटा के मुताबिक, भारत ने 2024–25 में कुल चावल निर्यात का सिर्फ करीब 3% हिस्सा ही अमेरिका को भेजा, यानी भारत का US मार्केट पर निर्भरता बहुत कम है। एक्सपोर्टर्स का कहना है कि अगर कुछ प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ़ लगता भी है तो या तो उसका बड़ा हिस्सा अमेरिकी इम्पोर्टर और रिटेलर वहन करेंगे या फिर वहां की रिटेल कीमत थोड़ी बढ़ जाएगी, लेकिन भारत के कुल चावल निर्यात पर बड़ा झटका नहीं आएगा।
जहां असर दिख सकता है, वह कुछ प्रीमियम बासमती ब्रांड्स और खासकर उन भारतीय कंपनियों पर है, जिनकी अमेरिकी मार्केट में अच्छी पकड़ है; उनके मार्जिन घट सकते हैं या उन्हें कॉन्ट्रैक्ट री–नेगोशिएट करने पड़ सकते हैं।
राजनीतिक और व्यापारिक संदर्भ
ट्रंप पहले ही भारत पर 50% तक का व्यापक टैरिफ लगाकर व्यापारिक दबाव बना चुके हैं, जिसे रूस से तेल खरीद, BRICS की राजनीति और US के साथ “असंतुलित व्यापार” जैसे कारणों से जोड़ा जा रहा है। चावल को लेकर नई टैरिफ़ धमकी मुख्यतः अमेरिकी किसानों को साधने और घरेलू राजनीति में “हार्डलाइन ट्रेड” इमेज मजबूत करने के तौर पर देखी जा रही है, न कि केवल भारत–विरोधी आर्थिक कदम के रूप में।
भारतीय एक्सपोर्टर्स और विश्लेषकों की राय है कि भले ही प्रतीकात्मक तौर पर यह कदम कड़ा दिखे, लेकिन चावल के बहाने लगाए जाने वाले संभावित नए टैरिफ़ से भारत के कृषि निर्यात ढांचे पर सीमित प्रभाव पड़ेगा, जबकि राजनीतिक संदेश और दोनों देशों के चल रहे ट्रेड टॉक्स पर इसका असर ज्यादा महत्वपूर्ण होगा।










