Donald Trump Misses Out on Nobel Peace Prize:अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भारत-पाकिस्तान समेत सात युद्ध रुकवाने में अहम भूमिका निभाई है। ट्रंप का मानना था कि उन्होंने दुनिया में शांति कायम करने के लिए बड़ा योगदान दिया है। लेकिन इस बार उनका यह सपना अधूरा रह गया, क्योंकि नोबेल शांति पुरस्कार किसी और के नाम हो गया।
मारिया कोरिना मचाडो बनीं नोबेल विजेता
इस साल नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है। उन्हें यह सम्मान अपने देश में लोकतांत्रिक अधिकारों को मजबूत करने और दमन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए मिला है। नोबेल कमेटी ने मचाडो की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने कठिन हालात में भी अपने देश को नहीं छोड़ा और हमेशा लोकतंत्र की लड़ाई जारी रखी।
कमेटी ने कहा “हम बहादुरों का सम्मान करते हैं”
नोबेल पुरस्कार समिति की ओर से बयान जारी करते हुए कहा गया, “हम हमेशा उन लोगों को सम्मानित करते हैं जो अन्याय और दमन के खिलाफ डटे रहते हैं और आजादी की उम्मीद को जीवित रखते हैं।” कमेटी ने यह भी बताया कि पिछले साल मचाडो को अपनी सुरक्षा के लिए छिपकर रहना पड़ा था, लेकिन उन्होंने अपने देश को नहीं छोड़ा और संघर्ष जारी रखा।
मचाडो का जीवन और शिक्षा
मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को वेनेजुएला की राजधानी कराकस में हुआ। उन्होंने एंड्रेस बेलो कैथोलिक यूनिवर्सिटी से औद्योगिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और आगे चलकर इंस्टिट्यूटो डी एस्टुडीओस सुपीरियोर्स दे एडमिनिस्ट्रासियन से वित्त में स्नातक की डिग्री हासिल की। वे लंबे समय से वेनेजुएला में लोकतंत्र, मानवाधिकार और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रही हैं।
ट्रंप को आठ देशों ने किया था नॉमिनेट
डोनाल्ड ट्रंप को इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए आठ देशों ने नामित किया था। इनमें पाकिस्तान, इजराइल, अमेरिका, आर्मेनिया, अजरबैजान, माल्टा और कंबोडिया जैसे देश शामिल थे। नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन की प्रक्रिया हर साल 1 फरवरी से शुरू होती है और 31 जनवरी तक चलती है। इस साल की नामांकन की अंतिम तारीख 31 जनवरी 2025 थी।
पिछले साल जापान की संस्था को मिला था पुरस्कार
पिछले साल का नोबेल शांति पुरस्कार जापान की संस्था निहोन हिडांक्यो को मिला था। इस संगठन की स्थापना 1956 में हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु हमलों से बचे लोगों ने की थी। उन्होंने अपने दर्दनाक अनुभवों के बावजूद, शांति और एकता का संदेश फैलाने के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। इस वजह से उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सराहना मिली थी।
ट्रंप की उम्मीदें फिर अधूरी
ट्रंप को इस बार भी निराशा हाथ लगी। हालांकि उन्होंने कहा है कि वे भविष्य में भी विश्व शांति के लिए काम करते रहेंगे। उनका मानना है कि राजनीति से ऊपर उठकर इंसानियत की सेवा करना ही असली सम्मान है।