Durga Idols in Unique Themes: काशी के खोजवा इलाके में मूर्तिकार दिन-रात मां दुर्गा की प्रतिमाओं को आकार देने में लगे हैं। यहां से वाराणसी ही नहीं, आसपास के जिलों के लिए भी प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। इस बार सबसे ज्यादा चर्चा उस प्रतिमा की है, जो “ऑपरेशन सिंदूर” थीम पर तैयार हो रही है। इसमें भारतीय सेना के साहस की झलक दिखाई देगी, जिसे देखकर लोग गर्व महसूस करेंगे।
प्राण-प्रतिष्ठा की शुरुआत
शारदीय नवरात्र की शुरुआत के साथ ही काशी के हर मोहल्ले और पूजा पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा शुरू हो चुकी है। सप्तमी से लेकर नवमी तक यहां का माहौल भक्ति और उल्लास से भरा रहता है। नवरात्र में काशी को “मिनी बंगाल” कहा जाता है, क्योंकि यहां दुर्गा पूजा का उत्साह देखने लायक होता है।
शारदीय नवरात्र का महत्व
साल में चार बार नवरात्र आते हैं। चैत्र, आषाढ़, माघ और आश्विन। इनमें आश्विन मास में आने वाला नवरात्र सबसे अहम माना जाता है। इसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है। यह पर्व सितंबर-अक्टूबर में शरद ऋतु के समय मनाया जाता है। नवरात्र का समापन दशहरे पर होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया था।
प्रतिमाओं में दिखेगी सेना की वीरता
मूर्तिकार जयदेव बर्मन का कहना है कि हमारी सुरक्षा सेना के कारण ही संभव है। सेना के साहस और पराक्रम से ही हम सुकून से रह पाते हैं। “ऑपरेशन सिंदूर” की प्रतिमा में मां दुर्गा को घायल सैनिक को गोद में लिए हुए दिखाया गया है, जो सेना के बलिदान का प्रतीक है।
पर्यावरण और तकनीक पर भी फोकस
मूर्तिकारों ने इस बार पर्यावरण बचाने का संदेश देने के लिए मिट्टी और हरे पत्तों से बनी दुर्गा प्रतिमाएं भी तैयार की हैं। वहीं, बढ़ती मांग को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं। इन नई-नई प्रतिमाओं ने भक्तों में खास उत्साह भर दिया है और पूजा पंडालों की शोभा और भी बढ़ा दी है।