Dussehra 2025 : हर दशहरे पर हम रावण का पुलता जलाते हैं खूब हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते हैं पर ज़रा आप सोचिए कि केवल पुतलों को जलाने से बुराई वाकई में नष्ट हो जाती है। क्योंकि रावण किसी न किसी रूप में हर किसी के अदंर विद्यमान है। तो आज के दिन भगवान श्री राम का नाम लीजिए और ये जो विकार के रूप में रावण आपके अंदर छिपके बैठा है उसका दहन कीजिए। आइए जानते हैं रावण से मिलने वाली कुछ ऐसी सीखें, जो हमारे जीवन को दिशा दे सकती हैं।
1. संकल्प और तप
रावण एक महान तपस्वी था। उसने ब्रह्मा और शिव जैसे देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वर्षों तक घोर तप किया और अनेक शक्तियाँ प्राप्त कीं। उसकी इसी साधना और संकल्पशक्ति के बल पर उसे अपराजेय योद्धा माना गया। अगर हम भी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर दृढ़ संकल्प लें और निरंतर प्रयास करें, तो कोई भी कठिनाई हमारी राह नहीं रोक सकती।
2. सीखने की जिज्ञासा कभी न छोड़ें
रावण केवल शक्तिशाली ही नहीं, अत्यंत ज्ञानी भी था। वह चारों वेदों का ज्ञाता, आयुर्वेद और संगीत में निपुण था। उसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की, जो आज भी भक्ति और संगीत का अद्वितीय उदाहरण है। रावण सिखाता है कि ज्ञान और शिक्षा जीवन के सबसे बड़े संसाधन हैं। सीखने की ललक हमेशा जीवित रखनी चाहिए।
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3. हर व्यक्ति के भीतर होते हैं कई रूप
रावण का व्यक्तित्व बहुआयामी था — एक ओर वह शिवभक्त था, दूसरी ओर अहंकारी और हठी भी। उसके अंदर भक्ति, ज्ञान, वीरता, लेकिन साथ ही क्रोध, लालच और अहंकार जैसे दोष भी थे। इसी के साथ हर इंसान के भीतर अच्छाई और बुराई दोनों होती है। जरूरी यह है कि हम अपने भीतर की अच्छाई को पहचानें और बुराई पर नियंत्रण रखें।
4. अहंकार का विनाश तय है
रावण का सबसे बड़ा दोष उसका अहंकार था। उसने अपनी शक्ति, ज्ञान और साम्राज्य के मद में सीता का हरण किया, जिससे उसका पतन निश्चित हो गया। कितना भी बड़ा सामर्थ्य क्यों न हो, अगर उसमें विनम्रता नहीं है, तो उसका अंत तय है। जीवन में सफलता के साथ विनय भी आवश्यक है।