Suresh Raina and Shikhar Dhawan’s Assets Seized by ED: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना और शिखर धवन की कुल 11.14 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली। एजेंसी का कहना है कि दोनों खिलाड़ियों ने ऑनलाइन बेटिंग ऐप 1xBet के प्रमोशन से जो कमाई की थी, उसका इस्तेमाल निवेश और संपत्ति खरीदने में किया गया था। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत की गई है।
ED की जांच में सामने आए अहम तथ्य
सूत्रों के मुताबिक, सुरेश रैना के 6.64 करोड़ रुपए के म्यूचुअल फंड निवेश और शिखर धवन की 4.5 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किया गया है। ईडी ने इन रकम को “अपराध से अर्जित संपत्ति” यानी Proceeds of Crime माना है। न्यूज एजेंसी PTI को दिए बयान में अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई ठोस सबूतों के आधार पर की गई है।
कई नामी चेहरों से हो चुकी है पूछताछ
सितंबर महीने में इसी मामले में ईडी ने कई क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों से पूछताछ की थी। इनमें युवराज सिंह, सुरेश रैना, रॉबिन उथप्पा, शिखर धवन, सोनू सूद, मिमी चक्रवर्ती (पूर्व TMC सांसद) और अंकुश हाजरा (बंगाली अभिनेता) शामिल थे। एजेंसी ने कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स से भी सवाल-जवाब किए थे।
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि सभी से PMLA की धारा 50 के तहत बयान दर्ज किए गए। कई लोगों ने अपने बैंक खातों और लेन-देन की जानकारी दी, जिससे पता चला कि उन्हें विज्ञापन शुल्क किस तरह मिला। वहीं, कुछ और खिलाड़ियों और अभिनेताओं से पूछताछ अभी बाकी है।
उर्वशी रौतेला को भी भेजा गया था समन
इस केस में एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला, जो 1xBet की इंडिया एंबेसडर रह चुकी हैं, को भी बुलाया गया था। हालांकि, उस समय वह विदेश में होने के कारण ईडी के सामने पेश नहीं हो सकीं।
सरकार की चिंता – लोगों की जिंदगी पर बुरा असर
सरकार का कहना है कि ऑनलाइन बेटिंग एप्स से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है। कई लोग इन गेम्स की लत में अपनी पूरी बचत गंवा बैठे हैं। कुछ मामलों में आत्महत्या तक की खबरें आई हैं।
इसके अलावा, सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं पर भी जोर दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा था कि ऑनलाइन गेमिंग से समाज में नशे जैसी समस्या बढ़ रही है और परिवारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।
उन्होंने बताया कि अब तक करीब 45 करोड़ लोग इस लत से प्रभावित हुए हैं और 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान मिडिल क्लास परिवारों को हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस समस्या को “गेमिंग डिसऑर्डर” के रूप में मान्यता दी है।
