प्रीति सूदन कौन? जो संभालेंगी UPSC की बागडोर, पूजा खेडकर से लेकर राजेंद्र नगर घटना तक, कितना मुश्किल होगा कार्यकाल

Preeti Sudan UPSC New Chairman Profile: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का नवनियुक्त चेयरमैन प्रीति सूदन है। प्रीति सूदन, 1983 बैच की IAS अधिकारी, 2022 से UPSC की सदस्य हैं। 2020 में वे 37 साल की सेवा के बाद रिटायर हुईं।

Preeti Sudan

Preeti Sudan UPSC New Chairman: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कुछ दिन पहले पूर्व चेयरमैन महेश सोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। महेश सोनी ने अपने इस्तीफे की व्यक्तिगत वजह बताई। तब सभी के मन में बस एक प्रश्न था: UPSC का दारोमदार अब किसे दिया जाएगा? इसलिए इंतजार समाप्त हो गया है। UPSC की नई अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो चुकी है। UPSC का अगला चेयरमैन रिटायर्ड IAS अफसर प्रीति सूदन है। प्रीति सूदन कौन हैं?

37 साल तक बड़े पदों पर की नौकरी

प्रीति सूदन 1983 बैच की IAS अधिकारी हैं। आंध्र प्रदेश कैडर में सेवा देने के बाद उन्होंने कई केंद्रीय मंत्रालयों में काम किया। उन्होंने वर्ल्ड बैंक और WHO जैसी संस्थाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 37 साल तक विभिन्न विभागों में काम करने के बाद प्रीति सूदन 2020 में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के पद से रिटायर हुईं। 2022 में वे UPSC की सदस्य बनीं और अब उन्हें UPSC का चेयरमैन नियुक्त किया जा रहा है।

हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं प्रीति सूदन

हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली प्रीति सूदन ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एम.फिल की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने सामाजिक नीति एवं नियोजन में एमएससी की डिग्री भी हासिल की है। 1983 में प्रीति सूदन ने UPSC की परीक्षा दी और आंध्र प्रदेश कैडर की IAS अधिकारी बनीं।

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बड़े मंत्रालयों में लिए अहम फैसले

प्रीति सूदन ने कई बड़े विभागों की जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में सचिव के पद पर काम किया है। प्रीति सूदन विश्व बैंक में कंसल्टेंट भी रह चुकी हैं। केंद्र सरकार की कई बड़ी योजनाओं में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जैसे कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और आयुष्मान भारत मिशन। ई-सिगरेट पर पाबंदी लगने में भी प्रीति सूदन की भूमिका अहम रही है।

कोरोना काल में चर्चा में आई थीं प्रीति सूदन

कोरोना महामारी के दौरान प्रीति सूदन स्वास्थ्य मंत्रालय में केंद्रीय सचिव के पद पर थीं। इस दौरान उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों की देखभाल करने की सिफारिश की थी। वे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के इंडिपेंडेंट पैनल की सदस्य भी थीं।

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