CBSE Circular Healthy Food: बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए एक बड़े कदम के तहत, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सभी संबद्ध स्कूलों को कैंटीन से जंक फूड और उच्च चीनी वाले पेय पदार्थों को हटाने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य देश भर में बढ़ते बाल मोटापे और कम उम्र में डायबिटीज के मामलों से निपटना है। सीबीएसई ने स्कूलों को ‘शुगर बोर्ड’ और ‘ऑयल बोर्ड’ स्थापित करने के लिए भी कहा है, जो छात्रों और स्टाफ को खाद्य पदार्थों में वसा और चीनी की मात्रा के बारे में जानकारी देंगे।
स्कूलों को अब अपने मेन्यू में छाछ, जूस, सूप, और हॉट कॉफी जैसे स्वस्थ विकल्पों को शामिल करना होगा, और फ्राइड आइटम की जगह वेज पेटीज और सैंडविच जैसे कम वसा वाले खाद्य पदार्थ परोसने होंगे। यह निर्देश बचपन से ही स्वस्थ खाने की आदतों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
हेल्दी मेन्यू पर ज़ोर
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कई स्कूलों ने पहले ही CBSE के निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया है। दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल (ग्रेनो वेस्ट) की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने बताया कि उनके स्कूल में कोल्ड ड्रिंक को पूरी तरह हटाकर छाछ और जूस जैसे विकल्प शामिल किए गए हैं, और जागरूकता बोर्ड लगाए गए हैं।
सावित्री बाई फुले बालिका इंटर कॉलेज, ग्रेनो की वाइस प्रिंसिपल प्रीति फोगाट ने बताया कि उनके कैंपस में लड़कियों को मिलने वाले खाने में कम से कम शुगर और तेल वाले खाने को परोसा जाता है, और समय-समय पर बच्चों को कार्यशालाओं में जागरूक भी किया जाता है।
रायन इंटरनैशनल स्कूल की प्रिंसिपल सुधा सिंह ने पुष्टि की कि कैंटीन से फ्राइड और शुगर वाले आइटम हटा दिए गए हैं, और समोसे की जगह अब वेज पेटीज और सैंडविच ने ले ली है। सर्दियों के लिए सूप और हॉट कॉफी की व्यवस्था की गई है।
जागरूकता और विशेषज्ञ राय
CBSE स्कूलों द्वारा लगाए गए ऑयल बोर्ड और शुगर बोर्ड का मकसद छात्र-छात्राओं को यह समझाना है कि वे जो खा रहे हैं उसमें कितना फैट और शुगर है। फादर एग्नल स्कूल की टीचर दीपिका शर्मा ने कहा कि बच्चों को चीनी कम खाने, नियमित योग और फिटनेस पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
डायबिटीज विशेषज्ञ, ब्रिगेडियर डॉ. आरके गुप्ता के अनुसार, उनके अस्पताल में कम उम्र के कई बच्चे डायबिटीज के साथ रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बीमारी से बचाव का एकमात्र तरीका जागरूकता और खाने पर नियंत्रण करना है। यह अभियान बच्चों को बचपन से ही सही आहार चुनने और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने में मदद करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
