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Dussehra Special: रावण था एक आदर्श पति और आदर्श भाई, जाने कुछ...

Dussehra Special: रावण था एक आदर्श पति और आदर्श भाई, जाने कुछ अनसुने तथ्य

हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी लोग राम सीता और रावण के बारे में अच्छी तरह जानते होंगे फिर भी रावण (Ravana) से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य भी है जो शायद आपने कही नही पढ़े होंगे | रामायण के अलग अलग भागो से संग्रहित करके आज हम आपको रावण से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को आपके सामने पेश करेंगे जिससे पता चलेगा कि रावण (Ravana) केवल दुराचारी ही नही था बल्कि धर्म में बहुत विश्वास करता था और उसे महाज्ञानी माना जाता है | और आज भी दक्षिणी भारत व दक्षिण पूर्वी एशिया के कई हिस्सों में रावण को पूजा जाता है और अनेको संख्या में रावण के भक्त भी है |

पत्नी धर्म निभाया

जब रावण युद्ध में हार रहा था तब रावण ने यज्ञ करने का निश्चय किया जिससे तूफ़ान आ सकता था. लेकिन यज्ञ के लिए उसको पुरे यज्ञ के दौरान एक जगह बैठना जरुरी था | जब राम जी को इस बारे में पता चल तो राम जी ने बाली पुत्र अंगद को रावण का यज्ञ में बाधा डालने के लिए भेजा | कई प्रयासों के बाद भी अंगद यज्ञ में बाधा डालने में सफल नही हुआ |
तब अंगद ने रावण की पत्नी मन्दोदरी के साथ बुरा किया और उन्हें घसीटने लगा ताकि रावण ये देखकर अपना स्थान छोड़ दे लेकिन रावण नही हिला | तब मन्दोदरी रावण के सामने चिल्लायी और उसका अपमान किया और राम जी का उदाहरण देते हुए कहा की “एक राम जी है जिसने अपनी पत्नी सीता के लिए युद्ध किया और दुसरी तरह आप है जो अपनी पत्नी को बचाने के लिए अपनी जगह से हिल तक नहीं सकते ”. अंत में रावण उस यज्ञ को पूरा किये बिना वहा से उठ गया।

रावण था एक आदर्श पति और आदर्श भ्राता

आपको ये और बता दे कि रावण एक आदर्श पति के साथ साथ आदर्श भाई भी था | एक तरह उसने अपनी बहन सूर्पनखा के अपमान का बदला लेने के लिए इतना बड़ा फैसला लिया जो उसकी मौत का कारण बना था.इसके अलावा जब ब्रह्मा जी ने कुंभकर्ण को से हमेशा के लिए नीदं में सो जाने का वरदान दिया था तब रावण ने तपस्या करके इसकी अवधि को 6 महीने किया था जिससे पता चलता है कि रावण को अपने भाई बहनों और पत्नी की कितनी फ़िक्र थी |

रावण जनता था

रावण ये जनता था कि उसकी मौत विष्णु के अवतार के हाथो लिखी हुयी है और ये भी जानता था कि विष्णु के हाथो मरने से उसको मोक्ष की प्राप्ति होगी और उसका असुर रूप का विनाश होगा |

रावण ने किया था रामेश्वरम में भगवान राम के लिए यज्ञ

राम जी को जब रावण को हराने के लिए लंका जाना था तो जब काम शुरू करने के एक रात पहले उन्होंने यज्ञ की तैयारी की और रामेश्वरम में भगवान शिव की आराधना करने का निश्चय किया | अब जब वो सबसे शक्तिशाली व्यक्ति से युध्ह करने को जा रहे थे तो यज्ञ के लिए भी उनको एक विद्वान पंडित की आवश्कता थी | उन्हें जानकारी मिली कि रावण खुद एक बहुत बड़ा विद्वान है | राम जी ने रावण को यज्ञ के लिए न्योता भेजा और रावण शिवजी के यज्ञ के लिए मना नही कर सकता था | रावण रामेश्वरम पहुचा और उसने यज्ञ पूरा किया | इतना ही नही जब यज्ञ पूरा हुआ तब राम जी ने रावण से उसीको हराने के लिए आशीर्वाद भी माँगा और जवाब में रावण ने उनको “तथास्तु ” कहा था |

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