कैसे एक यहूदी लड़की भारत की First Miss India बन रचा इतिहास, जब वो बनने वाली थी पांचवीं बार मां

एस्थर विक्टोरिया अब्राहम उर्फ प्रमिला देश की पहली मिस इंडिया थीं, जिन्होंने 1947 में पांचवें बच्चे के गर्भ के साथ खिताब जीता और फिल्म इंडस्ट्री में बतौर प्रोड्यूसर भी इतिहास रचा।

first Miss India Esther Victoria Abraham : जब भी हम मिस इंडिया या मिस वर्ल्ड जैसे खिताबों की बात करते हैं, तो हमारे ज़हन में चमक-धमक, रैंप वॉक और खूबसूरत चेहरे सामने आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की पहली मिस इंडिया बनने वाली महिला ने जब यह खिताब अपने नाम किया, तब वह अपने पांचवें बच्चे को कोख में लिए हुए थीं? यह कहानी है एस्थर विक्टोरिया अब्राहम की, जिन्हें दुनिया ‘प्रमिला’ के नाम से जानती है।

एक बेमिसाल सफर

प्रमिला का जन्म 1916 में कोलकाता के एक बगदादी यहूदी परिवार में हुआ था। उनके पिता एक व्यापारी थे और मां पाकिस्तान से थीं। प्रमिला का झुकाव बचपन से ही थिएटर और फिल्मों की तरफ था, लेकिन उनके परिवार में लड़कियों पर कड़े नियम लागू थे। उन्होंने इन बंदिशों को तोड़ते हुए महज 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और थिएटर से जुड़ गईं।

थोड़े ही समय में उन्होंने डांसर के तौर पर पहचान बनाई और फिर फिल्मों में स्टंटवुमन के तौर पर कदम रखा। उन्होंने करीब 30 फिल्मों में काम किया और इसके बाद उन्होंने ‘सिल्वर प्रोडक्शंस’ नाम से अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी भी शुरू की। वे भारत की पहली महिला फिल्म प्रोड्यूसर बनीं।

1947 में रचा इतिहास

1947 में जब देश आज़ाद हुआ, उसी साल पहली बार ‘मिस इंडिया’ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में 31 साल की एस्थर विक्टोरिया अब्राहम ने भाग लिया और जीत हासिल की। खास बात यह थी कि उस समय वह गर्भवती थीं ,और वह भी अपने पांचवें बच्चे के साथ। इस ऐतिहासिक जीत के साथ उन्होंने साबित कर दिया कि एक महिला किसी भी भूमिका में पीछे नहीं है चाहे वह मां हो, मॉडल, एक्ट्रेस या फिर प्रोड्यूसर।

कठिनाइयों भरी रही ज़िंदगी

प्रमिला की जिंदगी में कामयाबियों के साथ-साथ कई मुश्किलें भी थीं। उन्होंने 17 साल की उम्र में पहली शादी की और फिर 22 की उम्र में दूसरी बार विवाह किया। लेकिन अपनी निजी जिंदगी में आए उतार-चढ़ावों को उन्होंने कभी अपने काम की राह में नहीं आने दिया।

एक प्रेरणा की मिसाल

एस्थर विक्टोरिया अब्राहम उर्फ प्रमिला सिर्फ भारत की पहली मिस इंडिया नहीं थीं, बल्कि वह उन गिनी-चुनी महिलाओं में से थीं जिन्होंने रूढ़ियों को तोड़कर अपने लिए एक नई राह बनाई। उनकी कहानी आज भी उन तमाम लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं ,चाहे हालात जैसे भी हों।

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