‘धुरंधर’ की राजनीति पर ऋतिक रोशन के सवाल: “कहानी कमाल की, लेकिन जिम्मेदारी समझनी होगी”

बॉलीवुड स्टार ऋतिक रोशन ने रणवीर सिंह की फिल्म ‘धुरंधर’ की तारीफ करते हुए भी उसके राजनीतिक संदेश पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

Hrithik Roshan On Dhurandhar : बॉलीवुड स्टार ऋतिक रोशन ने रणवीर सिंह की फिल्म ‘धुरंधर’ की तारीफ करते हुए भी उसके राजनीतिक संदेश पर गंभीर सवाल उठाए हैं और कहा है कि कलाकारों और फिल्मकारों को “दुनिया के नागरिक” के रूप में अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्होंने साफ किया कि कहानी और सिनेमाई क्राफ्ट उन्हें पसंद आए, लेकिन फिल्म की राजनीति से वे सहमत नहीं हैं।​

‘धुरंधर’ की तारीफ, लेकिन राजनीति पर असहमति

ऋतिक रोशन ने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा कि उन्हें ऐसी फिल्में पसंद हैं जिनमें निर्देशक और टीम खुद को पूरी तरह कहानी के ‘वोर्टेक्स’ में झोंक देते हैं और कहानी उन्हें हिलाकर रख देती है; ‘धुरंधर’ को उन्होंने इसकी मिसाल बताया और कहा, “Loved the storytelling. It’s cinema.”​

इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि वे फिल्म की राजनीति से असहमत हैं और इस बात पर बहस की जा सकती है कि फिल्ममेकरों को नागरिक के तौर पर कितनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, लेकिन एक “स्टूडेंट ऑफ सिनेमा” के रूप में उन्हें इस फिल्म से बहुत कुछ सीखने मिला।​

‘धुरंधर’ पाकिस्तान में R&AW ऑपरेशंस और भारत–पाक तनाव की पृष्ठभूमि वाली एक स्पाई थ्रिलर है, जिसे कई समीक्षक “आक्रामक राष्ट्रवादी” टोन वाली फिल्म मान रहे हैं; इसी को लेकर इसके राजनीतिक संदेश पर बहस छिड़ी हुई है।​

जिम्मेदारी की बात और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

अपने बयान में ऋतिक ने यह रेखांकित किया कि फिल्मकार सिर्फ मनोरंजनकर्ता नहीं, समाज पर असर डालने वाले नागरिक भी हैं, इसलिए जब फिल्मों में युद्ध, आतंकवाद, राष्ट्रवाद या समुदाय–विशेष से जुड़े संवेदनशील मुद्दे दिखते हैं, तो उनकी राजनीतिक दिशा और संभावित असर पर सोचना ज़रूरी है।​​

उन्होंने लिखा कि वे फिल्म की राजनीति से असहमत होते हुए भी उसके सिनेमाई गुणों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते, और यही ईमानदार आलोचना–समीक्षा का हिस्सा है।​

उनके इस संतुलित लेकिन स्पष्ट बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया भी आई। एक धड़ा उन्हें “प्रोपेगेंडा फिल्म” की राजनीति पर सवाल उठाने के लिए सराह रहा है और “स्पाइन वाला स्टार” बता रहा है, जबकि दूसरे पक्ष के यूजर्स उन पर “नेशनल सेंटिमेंट्स के खिलाफ जाने” का आरोप लगा रहे हैं और कहते हैं कि ऐसी फिल्मों की आलोचना से “राष्ट्रवादी” नैरेटिव को कमजोर किया जाता है।

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