Journey of National Film Awards: कब से शुरू हुए नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स जानें कैसे बदलते गए इनके रूप और श्रेणियां

1954 में शुरू हुए नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स आज भारत के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म सम्मान बन चुके हैं। समय के साथ इनकी श्रेणियां बढ़ती गईं, और अब ये सिनेमा के हर क्षेत्र को सम्मानित करते हैं।

Journey of National Film Awards: भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माने जाने वाले नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स की शुरुआत साल 1954 में हुई थी। इस अवॉर्ड का मकसद था। सिनेमा के क्षेत्र में योगदान देने वाले कलाकारों को सम्मानित करना और उन्हें प्रोत्साहन देना। उस समय इन्हें “स्टेट अवॉर्ड” कहा जाता था। 10 मई 1954 को हुए पहले नेशनल फिल्म अवॉर्ड समारोह में दो फिल्मों को सम्मान मिला मराठी फिल्म “श्यामची आई” और हिंदी फिल्म “मिर्जा गालिब” को बेस्ट फिल्म के खिताब से नवाजा गया था।

कैसे बढ़ता गया नेशनल अवॉर्ड का दायरा

शुरुआत में नेशनल अवॉर्ड की श्रेणियां बहुत सीमित थीं। लेकिन समय के साथ इनके स्वरूप में बदलाव आता गया। बाद में इनका नाम “नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स” कर दिया गया और इनकी श्रेणियों को भी बढ़ा दिया गया।अब यह अवॉर्ड्स केवल फीचर फिल्मों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स, अभिनय, निर्देशन, संगीत, लेखन, सिनेमैटोग्राफी और तकनीकी क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया गया है।

रीजनल सिनेमा को मिला प्रोत्साहन

1960 के दशक में भारतीय क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मलयालम जैसी भाषाओं की बेहतरीन फिल्मों को भी सम्मानित करना शुरू किया गया। इससे अलग-अलग भाषाओं में बनने वाले सिनेमा को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

दादासाहेब फाल्के पुरस्कार: एक अलग सम्मान

1969 में शुरू हुआ दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भी भारतीय सिनेमा का एक बड़ा सम्मान है, लेकिन यह नेशनल फिल्म अवॉर्ड से अलग होता है। यह अवॉर्ड भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है। इसका नाम भारत के पहले फिल्म निर्माता दादासाहेब फाल्के के सम्मान में रखा गया है। पहला यह पुरस्कार अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था।

2000 के बाद और भी बढ़ी कैटिगरीज़

1973 में गैर-फीचर फिल्मों को भी नेशनल अवॉर्ड के दायरे में लाया गया। 1980 के दशक में फिल्म लेखन के लिए अवॉर्ड शुरू हुआ। और फिर 2000 के दशक में विजुअल इफेक्ट्स और साउंड डिजाइन जैसी तकनीकी कैटिगरीज़ को भी शामिल किया गया।

कैसे होते हैं विजेताओं का चुनाव?

हर साल एक स्वतंत्र जूरी बनाई जाती है, जिसमें अनुभवी फिल्म निर्देशक, समीक्षक और सिनेमा से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होते हैं। ये जूरी सभी फिल्मों का गहराई से मूल्यांकन करती है। इसके बाद एक भव्य कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रपति विजेताओं को सम्मानित करते हैं। यह पुरस्कार न सिर्फ कलाकारों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होता है, बल्कि उनके करियर को नई पहचान भी देता है।

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