नई दिल्ली: हारा हूं बाबा पर तुझ पे भरोसा है, जीतूंगा एक दिन मेरा दिल ये कहता है। ये जिस भक्तिमय गाने के बोल हैं उन्हें भगवान खाटू श्याम (Khatoo Shyam) के लिए बनाया गया है। हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा। आज भारत के कई राज्यों में खाटू श्याम महाराज को पूजा जा रहा है। बाबा श्याम को लेकर कम शब्दों में आपको बताते हैं कुछ खास।
खाटू श्याम (Khatoo Shyam) का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। ये पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्री कृष्ण ने उन्हें कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। माना जाता है कि खाटू श्याम बाबा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और साथ ही कष्टों से भी निजात मिलता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक अपनी मां आशीर्वाद लेते हुए हारे हुए पक्ष का साथ देना का वचन देकर महाभारत के युद्ध में शामिल होने के लिए गए थे। श्री कृष्ण जानते थे अगर युद्ध में कौरव हारने लगे तो बर्बरीक अपने वचन के अनुसार, उनका साथ देगा,जिसके कारण पांडवों की हार हो सकती है।
श्री कृष्ण ने इसी के चलते उनका शीश दान में मांग लिया था और इसके बजाए उन्हें कलयुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। खाटू श्याम को कलयुग का एक जाग्रत देवता माना गया है। खाटू श्याम को हारे का सहारा भी कहा जाता है। माना जाता है जब महाभारत का युद्ध हुआ था तो बर्बरीक ने अपनी मां को वचन दिया था कि जो पक्ष युद्ध में हार रहा होगा। उसका साथ मैं दूंगा। इसलिए उन्हें हारे का सहारा भी कहा जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने जब बर्बरीक का शीश अपने सुदर्शन चक्र से अलग किया था, उनकी इच्छा महाभारत युद्ध को अंत तक देखने के लिए पूरी करने का वचन भी दिया था।
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माना जाता है कि खाटू श्याम (Khatoo Shyam) का शीश राजस्थान के सीकर में पाया गया था। उनका शीश मिलने के बाद लोगों ने उसी जगह पर खाटू श्याम के मंदिर का निर्माण कराया था। कार्तिक माह की एकादशी को उनके शीश को मंदिर में स्थापित किया गया था। तभी से इसी दिन खाटू श्याम का जन्मदिन मनाया जाता है।