टीवी धारावाहिक महाभारत में दुर्योधन का प्रभावशाली किरदार निभा चुके अभिनेता अर्पित रांका ने हाल ही में वृंदावन स्थित संत प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लेने और अपनी भावनाएँ साझा करने के लिए भेंट की। इस दौरान उन्होंने अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण और जीवन-संबंधी चिंताओं को संरचनात्मक रूप से महाराज के सामने रखा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके जीवन में संत की सलाह का महत्व है।
प्रेमानंद महाराज से भेंट और मुख्य बातचीत
अर्पित रांका ने संत प्रेमानंद के दरबार में पहुँचा कर अपने मन की भारी भावनाएँ और जीवन-संबंधी विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि महाभारत जैसे लोकप्रिय सीरियल में निगेटिव किरदार निभाने के बावजूद, वह वास्तविक जीवन में कोमल हृदय वाले और संवेदनशील व्यक्ति हैं। उनकी मुलाकात का उद्देश्य केवल आशीर्वाद लेना नहीं था, बल्कि जीवन, परिवार और करियर को लेकर अपने संदेह और चिंताओं को खुलकर साझा करना भी था।
महाराज के सामने उन्होंने अपने परिवार के कल्याण और बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की। इसी बातचीत में अर्पित ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने जीवन में कभी मांसाहार नहीं किया और न ही नशा का सेवन किया है। उनका कहना था कि वे ‘सुदरकाण्ड’ का नियमित पाठ करते हैं और योग तथा नामजप को अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते हैं।
प्रेमानंद महाराज की सलाह और प्रतिक्रिया
प्रेमानंद महाराज ने अर्पित को कहा कि उसके निभाए गए किरदार चाहे खलनायकों के क्यों न हों, उनके कार्य और जीवन की चुनौतियाँ सकारात्मक ऊर्जा और भक्ति के साथ हल की जा सकती हैं। महाराज ने जोर देकर कहा कि कठिन परिस्थितियों में भगवान के नाम का जप और योग अभ्यास मानसिक संतुलन बनाए रखने का एक असरदार तरीका है। उन्होंने अर्पित को भविष्य के बारे में चिंता कम करने तथा नकारात्मक विचारों को दूर रखने का सुझाव दिया।
महाराज के अनुसार, जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान, नामजप और आत्म-अनुशासन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इससे व्यक्ति अपनी चिंताओं को संतुलित दृष्टिकोण से समझ सकता है और उनमें सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।
एक अभिनेता का व्यक्तिगत पक्ष
अर्पित रांका, जो महाभारत और अन्य पौराणिक तथा ऐतिहासिक श्रृंखलाओं में अपने दमदार अभिनय के लिए लोकप्रिय हैं, ने स्पष्ट किया कि उनके निजी जीवन में अनुशासन, स्वस्थ आहार और सकारात्मक जीवनशैली का बड़ा प्रभाव रहा है। इस बात को उन्होंने न केवल संत के सामने रखा, बल्कि यह संदेश भी दिया कि जीवन में भौतिक चिंताओं के साथ आध्यात्मिकता का समन्वय आवश्यक है।
उनकी यह आत्म-विश्लेषण और खुली बातचीत दर्शाती है कि एक कलाकार के रूप में सफलता के साथ-साथ आध्यात्मिक सुकून और मन की शांति भी उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
