Muslim Actors in Mahabharat : टीवी पर आने वाली बी.आर. चोपड़ा की महाभारत सीरियल आज भी लोगों के दिलों में बसी है। इस शो की एक खास बात थी कि इसमें कई मुस्लिम कलाकारों ने हिंदू पौराणिक किरदारों को इतनी शानदार तरीके से निभाया कि दर्शक हैरान रह गए। ये कलाकार अपने रोल में इस कदर घुल-मिल गए कि उनकी असली पहचान से ज्यादा, उनके किरदार याद किए जाने लगे।
फिरोज खान, जिन्हें माँ भी ‘अर्जुन’कहकर बुलाती थीं
इस शो में सबसे ज्यादा चर्चा हुई फिरोज खान की। उन्होंने पांडवों के सबसे तेजतर्रार योद्धा, अर्जुन का किरदार निभाया। फिरोज खान मुस्लिम थे, लेकिन उनका अभिनय इतना जबरदस्त था, उन्होंने अर्जुन की बहादुरी, कुशलता और भावनाओं को इतने असली अंदाज में पेश किया कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी “अर्जुन” कहने लगे। यही नहीं, फिरोज खान ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी अपनी माँ भी उन्हें घर में “अर्जुन” कहकर ही बुलाती थीं! यह बात साफ दिखाती है कि उन्होंने अर्जुन के किरदार को कितनी गहराई से जिया और लोगों के दिलों पर कितनी छाप छोड़ी। उनकी एक्टिंग ने किरदार को जीवंत कर दिया था।
कुंती से लेकर घटोत्कच तक, अन्य यादगार कलाकार
फिरोज खान अकेले नहीं थे जिन्होंने महाभारत में मुस्लिम होते हुए भी हिंदू देवताओं या पात्रों को निभाया
नाज़नीन (कुंती):पांडवों की माँ, रानी कुंती का किरदार निभाने वाली नाज़नीन भी मुस्लिम थीं। उन्होंने कुंती के ममता, दुख और मजबूती भरे चरित्र को बहुत खूबसूरती से दर्शाया।
रज़्ज़ाक खान (घटोत्कच):भीम और हिडिंबा के पुत्र, राक्षस घटोत्कच की भूमिका निभाने वाले रज़्ज़ाक खान भी मुस्लिम थे। उन्होंने इस विशालकाय और भयानक दिखने वाले, लेकिन दिल से अच्छे पात्र को बेहद प्रभावशाली तरीके से पेश किया। उनकी भावनाएँ और वीरता दर्शकों को भा गई।
अयूब खान (राजा परीक्षित): अभिमन्यु के पुत्र और अर्जुन के पोते, राजा परीक्षित का रोल निभाने वाले अयूब खान भी मुस्लिम थे। उन्होंने शो में एक अहम भूमिका निभाई और राजा परीक्षित के चरित्र को गरिमा के साथ दिखाया।
क्यों हैं ये बातें खास?
इन कलाकारों की कहानी सिर्फ एक टीवी शो के बारे में नहीं है। ये बताती है कि असली कला कभी धर्म की दीवारों में नहीं बँधती। एक मुस्लिम कलाकार हिंदू पौराणिक कथा के नायक को पूरी ईमानदारी और जुनून से निभा सकता है और उसे लोगों का प्यार मिल सकता है। फिरोज खान का उदाहरण तो बिल्कुल साफ है।जब दर्शक ही नहीं, बल्कि खुद उनकी माँ भी उन्हें उनके किरदार के नाम से बुलाने लगे, तो यह साबित होता है कि उनका अभिनय कितना असरदार था। उन्होंने अर्जुन को सिर्फ नहीं निभाया, वे स्क्रीन पर अर्जुन बन गए थे। इसी तरह, नाज़नीन, रज़्ज़ाक खान और अयूब खान ने भी अपने-अपने किरदारों को जीवंत कर दिया।
महाभारत जैसा धार्मिक महाकाव्य होने के बावजूद, इसके चुनिंदा किरदारों को मुस्लिम कलाकारों द्वारा निभाया जाना और उनका इतना प्यार पाना, भारत की सांस्कृतिक एकता और सहिष्णुता की एक खूबसूरत मिसाल है। यह बताता है कि अच्छी कला और ईमानदार अभिनय के आगे सभी भेदभाव धराशायी हो जाते हैं। ये कलाकार और उनके काम हमें याद दिलाते हैं कि इंसानियत और कला सबसे बड़े धर्म होते हैं।