Entertanment news : प्रकाश झा भारतीय सिनेमा के उन निर्देशकों में से एक हैं जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को पर्दे पर उतारा है। ‘गंगाजल’, ‘अपहरण’ और ‘राजनीति’ जैसी फिल्मों ने उन्हें खास पहचान दिलाई। बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने बॉलीवुड में बड़ा मुकाम हासिल किया। आज उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं उनके सफर से जुड़े कुछ अनसुने किस्से।
बचपन और शुरुआती जिंदगी
प्रकाश झा का जन्म 27 फरवरी 1952 को बिहार के बेतिया जिले में एक पंडित और किसान परिवार में हुआ था। बचपन में वे पेंटर बनना चाहते थे, इसी वजह से उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़कर मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में एडमिशन लिया। लेकिन उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था।
डॉक्यूमेंट्री से शुरू हुआ फिल्मी करियर
साल 1973 में उन्होंने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट जॉइन किया और इसी दौरान उन्हें गोवा पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने का मौका मिला। यहीं से उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुई। इसी बीच, एक बार उन्हें फिल्म ‘धर्मा’ की शूटिंग देखने का मौका मिला, जिसमें रेखा, नवीन निश्चल और प्राण जैसे कलाकार थे। इस फिल्म की शूटिंग ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने फैसला कर लिया कि वे निर्देशक ही बनेंगे।
अजय देवगन के साथ शानदार फिल्में
प्रकाश झा और अजय देवगन की जोड़ी ने कई बेहतरीन फिल्में दी हैं। 2003 में आई ‘गंगाजल’ में अजय देवगन को एक दमदार पुलिस अधिकारी के रूप में दिखाया गया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इसके बाद ‘अपहरण’ में उन्होंने बिहार के अपहरण माफिया की कहानी को पर्दे पर उतारा। 2010 में आई ‘राजनीति’ में उन्होंने भारतीय राजनीति की सच्चाई को दिखाया, और 2013 में ‘सत्याग्रह’ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई।
राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित फिल्में
‘फेसेस आफ्टर द स्टॉर्म’ (1984) बेस्ट नॉन-फीचर फिल्म
‘दामुल’ (1985) बेस्ट फीचर फिल्म
‘कुडियाट्टम’ (1987) बेस्ट आर्ट्स-कल्चरल फिल्म
‘परिनति’ (1988) बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन
‘लुकिंग बैक’ (1988) बेस्ट इंडस्ट्रियल डॉक्यूमेंट्री
‘सोनल’ (2002) बेस्ट नॉन-फीचर फिल्म
‘गंगाजल’ (2004) बेस्ट फिल्म ऑन सोशल इश्यूज
‘अपहरण’ (2006) बेस्ट स्क्रीनप्ले
राजनीतिक सफर
फिल्म निर्देशन के अलावा, प्रकाश झा ने राजनीति में भी कदम रखा। उन्होंने बिहार में लोकसभा चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद, वे सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रूप से अपनी आवाज उठाते रहे हैं।
प्रकाश झा ने अपनी फिल्मों के जरिए समाज के कई अनदेखे पहलुओं को उजागर किया है। उन्होंने सिनेमा को सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं बल्कि एक सशक्त माध्यम बनाया है। उनकी फिल्मों ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया और सामाजिक बदलाव की प्रेरणा दी।