टीवी सोप ओपेरा बालिका वधू की प्रसिद्ध अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी की 1 अप्रैल 2016 को हुई मौत ने उस समय पूरे हिन्दी-टीवी इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया था। लेकिन अब, उनकी मौत के लगभग 9 साल बाद, उनके पूर्व प्रेमी Rahul Raj Singh ने एक नई दलील पेश की है। उन्होंने दावा किया है कि जब प्रत्यूषा को अस्पताल तक ले जाया गया, तब वे जिंदा थीं — और उन्हें सीपीआर (CPR) भी दिया गया था।
राहुल का कहना है कि उन्हें जब प्रत्यूषा मिली तब उनकी सांसें चल रही थीं। लेकिन अस्पताल ले जाते समय जिस देरी या फॉर्मेलिटी की वजह से इलाज शुरू हुआ, उसी दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
घटना का क्रम — क्या हुआ था उस दिन
1 अप्रैल 2016 को मुंबई के एक फ्लैट में प्रत्यूषा बनर्जी फंदे से लटकी मिली थीं। उस समय उनकी उम्र महज 24 वर्ष थी। राहुल राज सिंह ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले दरवाज़ा खुलवाया. और जब अंदर देखा तो प्रत्यूषा को पंखे से लटके देखा। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने CPR दी राहुल का दावा है प्रत्यूषा की सांसें चल रही थीं। हालांकि अस्पताल में औपचारिक प्रक्रिया में देरी हुई, और इसी दौरान प्रत्यूषा की मृत्यु हो गई।
आरोप, सवाल और अदालत का रुख
प्रत्यूषा की मौत के बाद उनके माता-पिता ने राहुल राज सिंह पर हत्या और उत्पीड़न का आरोप लगाया था। शुरुआत में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह “asphyxia / suffocation” बताई गई थी, और इसे आमतौर पर आत्महत्या का मामला माना गया।
लेकिन राहुल के नए बयान ने मामले में पुनर्विचार की मांग पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि मीडिया प्रेशर और पब्लिक गुस्से की वजह से सच दब गया। उन्हें अंतिम संस्कार (श्मशान) में शामिल भी नहीं होने दिया गया था।
इस बीच, अदालत ने 2023 में कहा था कि शुरुआती सबूतों के अनुसार, राहुल राज सिंह ने प्रत्यूषा की जिंदगी को “नरक” बना दिया था — शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से उत्पीड़न किया गया। ऐसा कहा गया कि उनके उत्पीड़न ने प्रत्यूषा को आत्महत्या के लिए मजबूर किया।
नया बयाना सही है या फिर पुरानी रिपोर्ट? — सवाल अब भी बने हुए हैं
राहुल का दावा — कि प्रत्यूषा अस्पताल तक जिंदा थीं — अगर सही माना जाए, तो मौत का समय और परिस्थितियाँ दोनों बदल जाती हैं। यह बात उस दिन की घटनाओं पर नए सवाल खड़े करती है: क्या अस्पताल पहुंचने में देरी हुई थी? अगर हां तो देरी कैसे और क्यों हुई? क्या मेडिकल टीम ने समय पर एहतियात बरती?
हालाँकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण asphyxia बताया गया था। राहुल राज सिंह द्वारा दिया गया यह नया बयान कि प्रत्यूषा बनर्जी अस्पताल तक जिंदा थीं और CPR दी गई थी — इस केस पर एक बार फिर से सवाल खड़ा करता है। 2016 के बाद से तमाम बयान, रिपोर्ट और कयासों के बीच यह नया खुलासा या दावा घटना की गुत्थी को और जटिल बना देता है।





