Sangeeta Ghosh motherhood journey : टीवी शो ‘देस में निकला होगा चांद’ से पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस संगीता घोष का सफर केवल कैमरे तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने बचपन से टीवी में काम किया और ‘नच बलिए’ जैसे रियलिटी शो होस्ट भी किए। 2011 में, 45 साल की उम्र में उन्होंने शैलेंद्र सिंह राठौर से शादी की। उनकी जिंदगी में सबसे बड़ी खुशी तब आई जब उन्होंने 25 दिसंबर को अपनी बेटी को जन्म दिया। हालांकि, यह सफर आसान नहीं था।
मां बनने की मुश्किलें और चुनौतियां
संगीता की बेटी प्रीमैच्योर पैदा हुई थी, जिससे उन्हें और परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनकी बेटी को 15 दिन NICU में रखा गया। इसके बाद उन्हें घर ले जाने की इजाजत मिली। लेकिन तभी संगीता के करियर और काम की जिम्मेदारियां सिर पर थीं। उन्होंने बेटी के जन्म के सिर्फ 25 दिन बाद काम पर वापसी कर ली।
संगीता ने अपने अनुभव शेयर करते हुए पैरेंट्स को सलाह दी, ‘माता पिता बनने का फैसला तभी करें, जब आप पूरी तरह बच्चे की जिम्मेदारी उठाने में सक्षम हों।’ उन्होंने यह भी कहा कि आजकल मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी ने कई विकल्प दिए हैं। अगर कोई मां नहीं बन पा रहा है, तो वह बच्चा गोद ले सकता है।
मां बनने का संतोष
संगीता घोष ने अपने मां बनने के अनुभव को संतोषजनक लेकिन चुनौतीपूर्ण बताया। वे कहती हैं कि बच्चों की परवरिश आसान नहीं होती, लेकिन इसमें जो खुशी मिलती है, वह सबसे अलग होती है। उन्होंने यह भी कहा कि आप किसी भी उम्र में मां बनने का फैसला कर सकती हैं, पर यह तभी करें जब आप बच्चे की जरूरतें पूरी करने के लिए तैयार हों।
पति का मिला भरपूर साथ
संगीता घोष ने बताया कि उनके इस सफर में पति का साथ बहुत महत्वपूर्ण रहा। मां बनने के बाद अक्सर महिलाएं खुद पर ध्यान देना छोड़ देती हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे कहती हैं कि महिलाओं को अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए और कभी अपने सपने नहीं मारने चाहिए।
काम पर लौटने का मुश्किल फैसला
काम पर लौटने के फैसले को उन्होंने मुश्किल जरूर बताया, लेकिन वे अपनी बेटी से वीडियो कॉल पर बातचीत करके संतुलन बनाने की कोशिश करती थीं। उन्होंने इस बात का अफसोस जाहिर किया कि बेटी के शुरुआती दिनों में वह ज्यादा वक्त नहीं दे पाईं।
करियर और प्रेरणा
संगीता घोष ने ‘देस में निकला होगा चांद’, ‘परवरिश सीजन 2’, ‘दिव्य दृष्टि’ जैसे शोज में काम किया है। उनकी कहानी महिलाओं के लिए प्रेरणा है कि वे मां बनने के बाद भी अपने सपनों को जी सकती हैं और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बना सकती हैं।