नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। संगीत के दुनिया के बेताज बादशाह और तबला किंग जाकिर हुसैन अब नहीं रहे। 73 साल की उम्र में तबला उस्ताद ने सैन फ्रांसिस्को के एक हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। भारत सरकार ने जाकिर हुसैन को संगीत जगत में अतुलनीय योगदान के लिए 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। हुसैन की मृत्यु इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण हुई। वह पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और इस दौरान उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में ले जाया गया था। जाकिर हुसैन को ब्लड प्रेशर की समस्या थी। हुसैन ने कथक नृत्यांगना और शिक्षिका एंटोनिया मिनेकोला से विवाह किया। उनकी दो बेटियां अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी हैं।
सुबह बहन ने दी निधन की जानकारी
छह दशकों से जो तबले की थाप हम सुन रहे थे, वो अब नहीं सुनाई देगी। जाकिर हुसैन का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। जाकिर हुसैन की मौत की खबर बीती रात आई, तो पूरे भारत में शोक की लहर दौड़ गई। बॉलीवुड सहित कई राजनेताओं ने जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि देनी शुरू कर दी थी। लेकिन इस बीच हुसैन की बहन खुर्शीद ने मीडिया को जानकारी दी कि फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। हुसैन साहब की मौत की झूठी खबर न चलाएं। उनकी हालत बहुत गंभीर है, लेकिन वह अभी भी हमारे बीच हैं। इसलिए, मैं (मीडिया से) अनुरोध करूंगी कि वह यह लिखकर या कहकर अफवाह न फैलाए कि उनका (हुसैन) निधन हो गया है। मुझे फेसबुक पर यह सारी जानकारी देखकर बहुत बुरा लग रहा है। यह बहुत गलत है। लेकिन सुबह होते-होते ये कंफर्म हो गया कि जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे।
मुम्बई में हुआ था जाकिर हुसैन का जन्म
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उस्ताद अल्ला रक्खा जैसे महान तबला संगीतकार के बेटे जाकिर हुसैन ने बचपन से ही तबले पर अपनी उंगलियों से संगीत का जादू जगाना शुरू कर दिया था। जाकिर हुसैन का पहला म्यूजिक कॉन्सर्ट जब हुआ था, तब उनकी उम्र महज 11 साल थी। उन्होंने 12 साल की उम्र में अमेरिका में शो किया था। उसमें उन्हें 5 रुपये मिले थे। जाकिर हुसैन पर लिखी किताब जाकिर एंड इज तबला ‘धा धिन धा’ में इस बारे में मेंशन किया गया है। किताब के मुताबिक जाकिर हुसैन किसी भी सतही जगह पर तबला बजाने लगते थे। घर में किचन के बर्तनों को भी उल्टाकर के वो उसपर धुने बनाते थे। इसमें कई बार गलती से भरा बर्तन होता तो उसका सामान अनजाने में गिर भी जाता था। उस्ताद जाकिर हुसैन ने उस्ताद खलीफा वाजिद हुसैन, कंठा महाराज, शांता प्रसाद और उस्ताद हबीबुद्दीन खान से भी संगीत और तबले के गुण सीखे।
ऐसे हुसैने बने तबला उस्ताद
उस्ताद जाकिर हुसैन के पिता पहले से ही देश के मशहूर तबलावादकों में से एक थे। वे देश-विदेश में बड़े-बड़े कॉन्सर्ट किया करते थे। जब बेटा हुआ तो डेढ़ दिन के जाकिर के कानों में पिता ने ताल गा दी। बस फिर क्या था, संगीत का परिवार मिला, पिता का आशीर्वाद मिला और वहीं से जाकिर के उस्ताद बनने का आधार तय हो गया। उस समय डेढ़ दिन के जाकिर को दिया आशीर्वाद उनके बेटे को तबले की दुनिया का सबसे बड़ा उस्ताद बना देगा इसका अंदाजा तो खुद उस्ताद अल्लाह राखा को भी नहीं होगा। वे तबले से कभी चलती ट्रेन की धुन निकालते थे तो कभी भी भागते हुए घोड़ों की धुन निकाल कर दिखाते थे। जाकिर हुसैन की खास बात ये थी कि वे संगीत की गहराइयों को अपनी परफॉर्मेंस के जरिए दर्शकों से रूबरू कराकर बनाकर उसमें भी मनोरंजन पैदा कर देते थे।
पिता के बनाए रास्ते पर चलका बनाई पहचान
सन 1973 में उनका पहला एलबम ’लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ आया था। सन 1979 से लेकर 2007 तक जाकिर हुसैन ने दुनिया भर में कई संगीत समारोहों में अपने हुनर का कमाल दिखाया। जाकिर हुसैन के तबला वादन के प्रति दीवानगी पूरी दुनिया में थी। सन 2016 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उस्ताद को ’ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट’ में आमंत्रित किया था। वे पहले भारतीय संगीतकार थे, जिन्हें इस संगीत समारोह में आमंत्रित किया गया था। महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत और दुनिया भर में अलग पहचान बनाई। उन्होंने अपने संगीत के करियर में 4 ग्रैमी पुरस्कार हासिल किए, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे।
जाकिर हुसैन ने फिल्मों में भी काम
जाकिर हुसैन को इंडियन सिनेमा की सबसे ऐतिहासिक फिल्म ‘मुगल ए आजम’ में भी काम करने का ऑफर मिला था। इस फिल्म में दिलीप कुमार ने सलीम का रोल प्ले किया तो वहीं जाकिर हुसैन को सलीम के छोटे का भाई का रोल मिला था। हालांकि, उन्हें उस पेशकश के लिए मना करना पड़ा था। दरअसस, उनके पिता उस्ताद अल्लाह राखा चाहते थे कि उनके बेटे का फोकस संगीत पर ही रहे। पिता की मंजूरी न मिलने की वजह से उन्होंने इस फिल्म के लिए मना कर दिया था। उन्होंने सन 1983 में आई ब्रिटिश फिल्म ’हीट एंड डस्ट’ में शशि कपूर के साथ एक भूमिका निभाई थी। इसके अलावा भारत की एक मशहूर चाय को उस विज्ञापन से बड़ी पहचान मिली जिसमें उस्ताद जाकिर हुसैन ने मॉडलिंग की थी।