एकेटीयू में बीटेक विषयों में क्या पढ़ना है अब छात्र बताएंगे
विश्वविद्यालय बोर्ड ऑफ स्टडीज में छात्रों के प्रस्ताव को करेगा शामिल
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) छात्रों से शैक्षणिक सत्र 2023-24 से इंजीनियरिंग और प्रबंधन के पाठ्यक्रम में कौन-कौन से विषय अनिवार्य हैं, उद्योग जगत की क्या मांग है और अन्य शैक्षणिक संबंधी सुझाव लिए जाएंगे. पहली बार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्णय लिया है कि बोर्ड ऑफ स्टडीज की प्रत्येक बैठक में एक छात्र प्रतिनिधि अपने सुझाव और सिफारिशें देने के लिए उपस्थित होगा. बीते दिनों विश्वविद्यालय में हुए विद्या परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि मौजूदा समय में इंडस्ट्री के डिमांड के अनुसार कोर्स में बदलाव करने की जरूरत होती है. जो छात्र मौजूदा समय में पढ़ाई कर रहे हैं वह इंडस्ट्री में हो रहे बदलाव को अच्छे से समझते हैं.
छात्र रखेंगे बैठक में अपना प्रस्ताव
एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय ने बताया कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)” के तहत छात्रों की भागीदारी और पाठ्यक्रम को बहु-विषयक बनाने की बात कही गई है. इसी को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने फैसला किया है कि एक छात्र प्रतिनिधि विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) में मौजूद रहेगा. उन्होंने कहा कि छात्रों के पास बीओएस एजेंडे पर उपस्थित किसी विशेष प्रस्ताव को पारित करने का कोई मतदान अधिकार नहीं होगा, लेकिन उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर बैठक में विचार-विमर्श किया जाएगा. उन्होंने बताया कि छात्र किसी भी शैक्षणिक संस्थान की रीढ़ होते हैं, इसलिए जब पाठ्यक्रम और अन्य शैक्षणिक मामलों के बारे में बड़े फैसले लिए जा रहे हों तो उनकी भागीदारी आवश्यक है क्योंकि इसका अंततः उनके करियर और भविष्य के लक्ष्यों पर प्रभाव पड़ता है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय ने बताया कि बीटेक विषयों के सिलेबस में बदलाव व उन्हें रोजगार परक बनाने के लिए छात्रों की इंडस्ट्री के डिमांड के अनुसार उसमें बदलाव किया जाएगा. इसके लिए बीटेक के हर स्ट्रीम के छात्रों को उनके विषय के बोर्ड ऑफ स्टडीज में रखा जाएगा.
इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में होगी सरल भाषा में पढ़ाई
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से जुड़े 750 से अधिक इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कालेजों में आने वाले दिनों में आम बोलचाल की भाषा (बाय लैंग्वल) में पढ़ाई शुरू होगी. जिससे स्टूडेंट्स को अग्रेंजी के साथ-साथ हिन्दी का भी बराबर ज्ञान हो सके. विवि स्तर पर यह कदम नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को सलेबस में जगह दिये जाने के उल्लेख के चलते उठाया जा रहा है.
नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने की बात कही गयी है. पूरे देश में मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य है, जिसने सबसे पहले हिन्दी में डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू कराई है. वहीं यूपी में चिकित्सा शिक्षा विभाग हिन्दी में डॉक्टरी की पढ़ाई को लेकर बाजार में उपलब्ध पुस्तकों की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन कर रखा है. ऐसे में सलेबस में क्षेत्रीय भाषा को शामिल किये जाने को लेकर एकेटीयू ने भी अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी है. विवि के कुलपति प्रो. जेपी पाण्डेय ने कार्यभार संभालने के बाद से ही इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में नई शिक्षा नीति को लागू किये जाने को लेकर घटक संस्थानों के शिक्षकों को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं. इसी क्रम में बीटेक और एमबीए की पढ़ाई को अग्रेंजी के साथ हिन्दी को जोड़कर शुरू कराने की तैयारी है. जिससे पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अपने अनुरूप पढ़ाई कर सकें. इसके लिए विवि की तरफ से एक प्रस्ताव तैयार कर एकेडमिक काउंसिल में ले जाया जायेगा. जहां से पारित होने के बाद इसे लागू कर दिया जायेगा.