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कौन हैं सुशीला कार्की, जो बन सकती हैं नेपाल की कार्यवाहक प्रधानमंत्री, जानें बालेंद्र, गुरुंग और ‘रैंडम नेपाली’ को क्यों नहीं मिली कुर्सी

नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया जा सकता है।

by Vinod
September 10, 2025
in Latest News, TOP NEWS, राजनीति, विदेश
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नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। नेपाल में क्रांति का गजब का संयोग बना। सड़क पर यूथ का अजब का रौला दिखा। पीएम ओली को अपने प्रयोग पर यकीन था। ओली को उम्मीद थी कि यूथ बिग्रेड को आर्मी कंट्रोल कर लेगी। पीएम ने डंके की चोट पर एलान भी कर दिया था कि सोशल मीडिया पर किसी भी कीमत पर बैन नहीं हटेगा। जो भी हिंसा करेगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ओली साहब की ये धमकी नेपाली यूथ को पसंद नहीं है। फिर क्या था शहर-शहर, गांव-गांव ऐसा जलसैलाब उमड़ा की महज 26 घंटे के अंदर ओली को कुर्सी छोड़कर भागना पड़ा। यूवा क्रांति ने ऐसी गदर काटी की संसद भवन से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक धू-धू कर जल उठे। सेना भी बैकफुट पर थी।

यूथ क्रांति के सामने सेना ने सरेंडर कर दिया। जवानों ने गोली चलाने से इंकार कर दिया। आर्मी चीफ ने पीएम ओली को रिजाइन करने को कहा। मंत्री-मुख्यमंत्रियों को भी पद छोड़ने का अल्टीमेटम दिया। आखिर में नेपाल में पूरी तरह से सरकार का तख्तापलट हो गया। फिलहाल नेपाल अब सेना के कब्जे में हैं। यूथ भी शांत है और नई सरकार किसकी होगी, उसको लेकर मंथन जारी है। दरअसल, भारत के पड़ोसी देश नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। लाखों की संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए। संसद भवन, प्रेसीडेंट आवास, पीएम आवास, सुप्रीम कोर्ट समेत अन्य संस्थानों पर कब्जा कर लिया। लूटपाट की और फिर एक-एक कर सभी इमारतों को अगा के हवाले कर दिया।

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विद्रोह बढ़ा तो सेना सड़क पर उतरी। प्रदर्शनकारी और सेना के बीच एनकाउंटर भी हुए। फायरिंग में 24 से ज्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए। 300 सौ से अधिक यूथ घायल हो गए। इतना सब होने के बाद भी यूथ सड़क पर डटे रहे। पीएम ओली और उनकी सरकार से दो-दो हाथ करते रहे। आखिर में आर्मी चीफ के कहने पर पीएम ओली ने अपने पद से रिजाइन किया। यूथ भी प्रोटेस्ट से धीरे-धीरे अपने पैर पीछे खींचने शुरू कर दिए। मामला कुछ शांत हुआ तो नई सरकार के गठन को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई। पहले कहा जा रहा था कि बालेंद्र शाह के हाथों में नेपाल की बागडोर जा सकती है। एक नाम और सामने आया। दावा किया कि हामी संगठन के अध्यक्ष सुदन गुरुंग को कार्यवाहक पीएम बनाया जा सकता है। पर इन दो के अलावा एक और नाम तेजी से सामने आया। वह नाम सुशीला कार्की का है।

जानकार बताते हैं कि सेना और यूथ के बीच कार्की के नाम पर लगभग-लगभग सहमति बन चुकी है। बालेंद्र और सुदन गुरुंग भी कार्की को पीएम बनाए जानें के पक्ष में हैं। ऐसे में हम आपको सुशीला कार्की के बारे में बताते हैं। कैसे चुनी गई पीएम कैंडीडेट। किस संगठन ने कार्की के नाम पर लगाई मुहर। दरअसल, सुशीला कार्की का नाम आज सुबह जेन-जेड आंदोलन के सदस्यों की एक वर्चुअल बैठक में तय किया गया। इस बैठक में आर्मी चीफ समेत अन्य नेताओं ने भाग लिया। नेपाल प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिम प्रधानमंत्री की नियुक्ति को लेकर एक बैठक में गंभीर चर्चा हुई। इस बैठक में पांच हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए।

इनमें सबसे ज्यादा लोगों ने नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का समर्थन किया। काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बालने शाह जेन-जेड पीढ़ी के बीच सबसे लोकप्रिय माने जाते हैं। लेकिन एक जेन-जेड प्रतिनिधि ने कहा कि अब वह (बालेन) हमारी बातों का जवाब नहीं दे रहे हैं। प्रतिनिधि ने कहा, जब उन्होंने फोन नहीं उठाया, तब अन्य नामों पर चर्चा शुरू हुई। सुशीला कार्की के नाम को सबसे ज्यादा समर्थन मिला।  सुशीला कार्की को पहले ही जेन-जेड आंदोलनकारियों की ओर से कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया जा चुका था। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इसके लिए 1,000 लिखित हस्ताक्षरों की मांग की थी। लेकिन उन्हें 2,500 से भी ज्यादा हस्ताक्षर दिए गए, जो उनकी मांग से कहीं ज्यादा थे।

कार्यवाहक प्रधानमंत्री पद के लिए कुलमैन घिसिंग, सागर ढकाल और हर्क साम्पांग जैसे नामों का जिक्र भी हुआ। इसी तरह ’रैंडम नेपाली’ नाम के एक यूट्यूबर को भी अच्छा-खासा समर्थन मिला। लेकिन उन्होंने कहा कि वह तभी आगे बढ़ेंगे जब कोई और तैयार नहीं होगा। ’रैंडम नेपाली’ का असली नाम राष्ट्रबिमोचन तिमालसिना है। वह एक वकील हैं। इससे पहले वह नेशनल लॉ कॉलेज में कार्यवाहक प्राचार्य भी रह चुके हैं। जानकार बताते हैं कार्की को एकमत से सभी ने कार्यवाहक पीएम बनाए जानें को लेकर अपनी सहमति दे दी है।

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। कार्की का जन्म सात जून 1952 को विराटनगर में हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र और कानून की पढ़ाई की और उसके बाद वकालत और कानूनी सुधारों के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत की। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की, जिनमें चुनावी विवाद भी शामिल थे। उनके फैसलों ने यह साबित किया कि न्यायपालिका लोकतंत्र की रक्षा करने वाली एक अहम संस्था है।

 

 

Tags: "Nepal ArmyNepal ViolenceNepal violence newsPM OliWho is Sushila Karkiwho will be the PM of Nepalyouth protest in Nepal
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