Gujarat Election 2022: कांग्रेस के इस गढ़ में बदल रहा है समीकरण, एकबार भी नहीं जीत सकी है बीजेपी

गुजरात विधानसभा चुनाव: बायद विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है पिछले विधानसभा चुनाव में धवलसिंह झाला ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा था उत्तर गुजरात के अरवल्ली जिले की बायद विधानसभा सीट की बात करें तो यह राजनीतिक दृष्टि से काफी खास मानी जाती है अरवल्ली की बायद सीट ने राजनीतिक रूप से सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पाटीदार और ठाकोर क्षत्रिय प्रभावी हैं इस सीट पर क्षत्रिय ठाकोर करीब 1 लाख 26 हजार, पाटीदार 31 हजार, चौधरी 9 हजार, 12 हजार मुस्लिम 5 हजार और अन्य 43500 मतदाता हैं

गुजरात में बीजेपी का वर्चस्व तो रहा है लेकिन प्रदेश की कुछ सीटें ऐसी हैं जहां आज तक कमल नहीं खिला है इनमें से ज्यादातर सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं निर्वाचन आयोग ने गुजरात में विधानसभा चुनावों के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है गुजरात में 2 चरणों मे 1 दिसंबर 5 दिसंबर को वोटिंग होगी 8 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जाएगे पिछला चुनाव का मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच नजर आता था लेकिन अब इस बार मुकाबला समोसे कि तरह त्रिकोणीय दिख रहा है अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंककर मैदान में उतर चुकी है मुकाबला इस दमदार दिख रहा है

बीजेपी को लेकर सवाल खड़ा हुआ कि गुजरात में वह इस बार कितनी मजबूत है पिछले कुछ चुनाव को देखे तो नरेंद्र मोदी के गुजरात से निकल केंद्रीय राजनीति में आने के बाद से वहां बीजेपी की सीटें कम ही हुई हैं 2012 के चुनाव में जहां बीजेपी ने राज्य की 182 में से 115 सीटें जीती थीं वहीं 2017 के चुनाव में सीटें घटकर 99 रह गईं यानी बहुमत के आंकड़े से महज 7 सीटें ज्यादा हालांकि इस बार बीजेपी ने 150+ का टारगेट रखा है

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटें जीती थीं और कांग्रेस ने 77 सीटें गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें सुरक्षित हैं 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों और 13 सीटें अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं गुजरात में कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद पार्टी के कई विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे अब गुजरात विधानसभा में बीजेपी के 111 सदस्य हैं कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 99 से घट कर 62 रह गई है एनसीपी और भारतीय ट्राइबल पार्टी के एक-एक सदस्य हैं जबकि एक सदस्य निर्दलीय भी हैं अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपने टारगेट में कितना कामयाब हो पाती है

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