Kids Health Care: छोटी उम्र में भी हो सकती है अस्थमा की बीमारी, जानिए इसके शुरुआती लक्षण

बच्चों में अस्थमा की शुरुआत फेफड़ों के संक्रमण होती है। इसके लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, घरघराहट और खांसी शामिल हैं। साफ सफाई और बच्चों की मौजूदगी में धूम्रपान ना करने से इसे रोका जा सकता है। समय पर सही इलाज से यह बीमारी नियंत्रण में रखी जा सकती है।

Kids Health Care: Early Signs of Asthma in Children बच्चों में अस्थमा एक सामान्य बीमारी है, जो उनकी सेहत और रोज़मर्रा की जिंदगी पर असर डाल सकती है। अस्थमा की स्थिति में बच्चे स्कूल से अक्सर छुट्टी करते हैं। भारत में करीब 3.3% बच्चे बचपन में होने वाले ब्रोन्कियल अस्थमा से प्रभावित होते हैं। आज हम इसके शुरुआती लक्षण और इलाज के बारे में बात करेंगे।

अस्थमा क्यों होता है

बच्चों में अस्थमा का सबसे बड़ा कारण फेफड़ों का इंफेक्शन होता है। जब बच्चे किसी संक्रमण का शिकार होते हैं, तो अस्थमा की समस्या शुरू हो सकती है।
इसके अलावा, सेकंड हैंड सिगरेट स्मोकिंग यानी दूसरों द्वारा छोड़े गए सिगरेट के धुएं का सांसों में जाना भी एक बड़ा कारण है। जिन घरों में लोग धूम्रपान करते हैं, उनके बच्चों में अस्थमा का खतरा ज्यादा होता है।

बच्चों में अस्थमा के शुरुआती लक्षण

5 साल से कम उम्र के बच्चों में अस्थमा की पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लेकिन कुछ लक्षण ऐसे हैं, जिन पर ध्यान दिया जाए तो समय रहते इलाज मुमकिन है।

सांस लेने में दिक्कत बच्चों को सांस खींचने या छोड़ने में तकलीफ होती है।

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घरघराहट
सांस लेते समय आवाज आना अस्थमा का एक बड़ा लक्षण है।

लगातार खांसी
अगर बच्चे को खांसी लंबे समय तक हो रही हो, खासतौर पर रात में, तो यह अस्थमा का संकेत हो सकता है।

इलाज और बचाव के उपाय

धूम्रपान से बचें
अपने बच्चों को सिगरेट के धुएं से दूर रखें।

संक्रमण से बचाव
बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए साफ
सफाई का ध्यान रखें।

डॉक्टर से संपर्क
अगर बच्चे में ऊपर बताए गए लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सही समय पर इलाज से बच्चों को अस्थमा से राहत मिल सकती है।

माता पिता के लिए जरूरी बातें

अस्थमा एक गंभीर लेकिन संभालने योग्य बीमारी है। अगर आप शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देंगे और बच्चों का सही तरीके से ख्याल रखेंगे, तो इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। बच्चे के खानपान और जीवनशैली पर ध्यान दें, और नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराएं।

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