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बिजनौर: 68 गांव में लंपी बीमारी का तांडव, गोवंश के टीकाकरण अभियान के..

बिजनौर: 68 गांव में लंपी बीमारी का तांडव, गोवंश के टीकाकरण अभियान के लिए 25 टीमों का गठन

राजस्थान सहित तमाम राज्य में तांडव मचाने के बाद लंपी बीमारी का असर यूपी के बिजनौर में भी दिखाई दे रही है। जानकारी के मुताबिर बिजनौर जिले के 68 गांव में इसका भयानक रुप दिखाई दे रहा है। जिले में 377 पशु इस वक्त संक्रमण के शिकार है। जिसके चलते पशु चिकित्सा विभाग की तरफ से जिले भर में पांच पांच लोगों की 25 टीमों का गठन कितया है। जिलेभर में आज से गोवंश के टीकाकरण अभियान की शुरूआत की जा रही हैं। इस भयानक बीमारी से अब तक चार पशु की मौत हो चुकी है। जबकि 82 पशु ठीक हो चुके है।

377 गोवंश लंपी बीमारी की चपेट में

दरअसल इन दिनों पशु लंपी बीमारी के शिकार हो रहे है। जिससे कई राज्य और जिले इससी चपेट में हैं। तो वहीं अब इसका असर बिजनौर जिले में भी देखने को मिल रहा है। बिजनौर जिले के 68 गांव में 377 गोवंश लंपी बीमारी की चपेट में है।

इस बीमारी की सबसे ज्यादा इसका असर उत्तर प्रदेश उत्तराखंड बॉर्डर पर स्थित सबलगढ़ गौशाला में देखने को मिला है। जंहा पर सबसे ज्यादा 35 गोवंश बीमार है। हालांकि पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने सभी पशओं को अलग करके इलाज शुरू कर दिया है। तो वहीं गांव में 35 हजार वैक्सीन पहुंच चुकी है। आज से जिले भर में टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है।

जानकीर के मुताबिक सबसे पहले शहर क्षेत्र के कान्हा गो आश्रय स्थल पर 197 स्वस्थ पशुओं का टिकाकरण किया जा रहा है। जहां भी कोई पशु बीमार है तो उसके चारों तरफ 500 मीटर तक के पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा ताकि बीमारी अन्य गांव में या अन्य पशुओं में ना फैल सके।

दवाई ना होने पर क्या करें पशुपालक

इसी बीच पशु चिकित्सा अधिकारी विजेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में ढाई लाख वैक्सीन की डिमांड की गई थी। आज 35 हज़ार वैक्सीन मिल चुकी हैं। जिसके बाद  5 लोगों के स्टाफ की 25 टीमें जिले भर में वैक्सीनेशन अभियान और पशुओं के इलाज में जुट गई हैं। इसके साथ ही जिलेभर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

इस अभियान में सभी पशु पालकों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखा जाए। साथ ही बीमार पशुओं का दूध बच्चों को ना पिलाएं और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर दवाई का छिड़काव करें। उन्होंने बताया की अगर किसी पशु पालक के पास दवाई नहीं है तो नीम के पत्तों को गोबर के उपलों पर डालकर जला दें और पशुओं के आसपास उसका धुंआ करें।

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