malaria vs dengue: मलेरिया और डेंगू दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जो मच्छरों के काटने से फैलती हैं। ये बीमारियां ज्यादातर गर्म और नम इलाकों, यानी ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाई जाती हैं। हालांकि इन दोनों में बुखार और बदन दर्द जैसे कुछ लक्षण मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन दोनों की वजह, पहचान और इलाज अलग होते हैं। अगर इनका सही समय पर पता चल जाए, तो इलाज करना काफी आसान हो जाता है।
कैसे फैलती हैं ये बीमारियां?
मलेरिया एक पैरासाइट (परजीवी) के कारण होता है, जिसका नाम प्लास्मोडियम है। ये परजीवी इंसान में उस समय पहुंचता है जब उसे एक संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर काट लेती है।
वहीं, डेंगू एक वायरस से होता है, जो एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर दिन के समय ज्यादा एक्टिव रहते हैं और साफ पानी में पनपते हैं।
दोनों के लक्षण क्या होते हैं?
मलेरिया के लक्षण
ठंड लगकर बुखार आना
पसीना आना
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
उल्टी या जी मिचलाना
हर 48 या 72 घंटे में बुखार दोबारा आना
डेंगू के लक्षण
अचानक तेज बुखार
तेज सिरदर्द
आंखों के पीछे दर्द
जोड़ों और मांसपेशियों में तीव्र दर्द (इसे ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहा जाता है)
स्किन पर रैशेज
खून बहना (नाक या मसूड़ों से)
जांच और इलाज कैसे होता है?
मलेरिया की पहचान ब्लड टेस्ट से होती है, जिसमें उस प्लास्मोडियम पैरासाइट को खोजा जाता है जो इस बीमारी का कारण होता है। इसका इलाज एंटी-मलेरियल दवाओं जैसे क्लोरोक्वीन या आर्टेमिसिन बेस्ड दवाओं से किया जाता है।
डेंगू का पता भी खून की जांच से ही लगता है, जिसमें वायरस या उससे लड़ने वाली एंटीबॉडी को खोजा जाता है। इसका कोई खास एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन मरीज को फ्लूइड, आराम और बुखार की दवाएं देकर ठीक किया जाता है। डेंगू में पेन किलर देने से बचना चाहिए।
कैसे करें मलेरिया और डेंगू से बचाव?
मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
खिड़की-दरवाजों पर जाली लगवाएं
फुल स्लीव कपड़े पहनें, खासकर शाम और सुबह के समय
कूलर, गमले, पुराने टायर, नारियल के खोल या छत पर टंकियों में पानी जमा न होने दें
आसपास साफ-सफाई रखें और मच्छरों को पनपने से रोकें
डेंगू के मच्छर दिन में काटते हैं, इसलिए दिन में भी बचाव जरूरी है