Awareness: अगर आप भी सफर के दौरान हॉकर्स से हरी मटर खरीदकर खाते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। अक्सर लोग यह सोचकर खाते हैं कि यह असली मटर है, लेकिन जब इसकी सच्चाई सामने आई, तो नतीजे चौंकाने वाले थे। दरअसल, बाजार में बिकने वाली ज्यादातर हरी मटर असली नहीं होती, बल्कि इसे रंग डालकर हरा बनाया जाता है। यह रंग कोई साधारण खाद्य रंग नहीं, बल्कि ऐसा रंग होता है, जो आमतौर पर उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है। इसका ज्यादा सेवन सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
इतनी हरी मटर आती कहां से
शियालदह बैठकखाना मार्केट के एक दुकानदार ने साफ तौर पर कहा, इतनी हरी मटर असल में मिल ही नहीं सकती। हमें जो मटर मिलती है, वह पहले पीली होती है, फिर उस पर रंग डालकर इसे हरा बना दिया जाता है। जब उनसे पूछा गया कि यह रंगी हुई मटर कहां से आती है, तो उन्होंने कहा कि इसका पता उन्हें भी नहीं है।
कैसे बनती है यह नकली हरी मटर
असल हरी मटर का रंग हल्का हरा और दाने थोड़े सख्त होते हैं, लेकिन बाजार में बिकने वाली यह मटर न सिर्फ गहरे हरे रंग की होती है, बल्कि यह बहुत जल्दी टूट भी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह मटर पहले पीली होती है, फिर उस पर हरे रंग का छिड़काव किया जाता है। यह रंग ज्यादातर सिंथेटिक डाई होती है, जिसका इस्तेमाल फैब्रिक या अन्य इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स में किया जाता है, न कि खाने में।
कितनी बिकती है यह हरी मटर
शियालदह के एक हॉकर्स के मुताबिक, वह रोजाना 4 से 5 किलो हरी मटर बेचते हैं। यह 5 या 10 रुपये के छोटे-छोटे पैकेट में बिकती है। इसके साथ मूंगफली और भुना चना भी मिलाया जाता है। अगर एक हॉकर्स 2 किलो मटर बेचता है, तो 100 हॉकर्स मिलकर 200 किलो मटर बेचते होंगे। यानी कोलकाता और आसपास के इलाकों में हर दिन सैकड़ों किलो रंगी हुई नकली मटर बेची जा रही है।
सेहत पर कितना खतरनाक असर डाल सकती है
इस विषय पर जादवपुर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रोफेसर प्रशांत कुमार विश्वास ने कहा, “असली हरी मटर में आयरन, फास्फोरस, फोलिक एसिड और विटामिन A, K और C भरपूर मात्रा में होते हैं। यह शरीर को मजबूत बनाती है और वजन घटाने में मदद करती है। लेकिन नकली हरी मटर खाने से पाचन खराब हो सकता है, पेट में दर्द हो सकता है, और लंबे समय तक इसका सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।”