Heart Disease : युवाओं में हार्ट डिजीज की बढ़ती चिंता, क्यों 40 साल से कम उम्र के लोगों में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले

युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मोटापा, तनाव, खराब लाइफस्टाइल और कोविड-19 के बाद की जटिलताएं मुख्य कारण हैं। हेल्दी आदतें और समय पर चेकअप से बचाव संभव है।

Heart Disease in Young Adults: जब भी हार्ट डिजीज की बात होती है, तो अक्सर हम 50-60 साल के लोगों के बारे में सोचते हैं। लेकिन अब यह ट्रेंड बदलने लगा है। पिछले कुछ समय में 40 साल से कम उम्र के युवाओं में हार्ट अटैक और हार्ट डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसलिए न सिर्फ समय पर पहचान जरूरी है, बल्कि इसकी वजह को समझना भी अहम है।

हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है ताकि लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूक किया जा सके। इसी मौके पर मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के कार्डियक साइंसेज यूनिट हेड और प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. राजीव अग्रवाल से बातचीत में यह बात सामने आई कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं।

युवाओं में हार्ट डिजीज क्यों बढ़ रही है

पहला कारण: मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्याएं अब पहले ही उम्र में शुरू हो रही हैं। बदलती लाइफस्टाइल की वजह से ये रोग पहले से ही युवाओं में दिखने लगे हैं, खासकर शहरी इलाकों में।

दूसरा कारण: तनाव। शहरी जीवन, लंबे काम के घंटे और बिजी शेड्यूल के कारण तनाव बढ़ गया है। लगातार तनाव की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड वेसल डैमेज और डिसलिपिडेमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

तीसरा कारण: खराब लाइफस्टाइल। रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स का अधिक सेवन, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, धूम्रपान, शराब और वेपिंग जैसी आदतें भी हार्ट डिजीज की वजह बन रही हैं।

चौथा कारण: कोविड-19 के बाद कई लोगों में रेसिडूअल इंफ्लेमेशन, माइक्रोवेस्कुलर डैमेज और ब्लड क्लॉट संबंधी समस्याएं देखी गईं, जो हार्ट से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा सकती हैं।

अनदेखी भी है बड़ी वजह

युवा अक्सर छोटे लक्षण जैसे थकान, हल्की सांस की तकलीफ या सीने में हल्की दर्द को अनदेखा कर देते हैं। इसे सिर्फ थकावट या तनाव मानते हैं। जब तक हालत गंभीर नहीं होती, तब तक ध्यान नहीं देते, जिससे कई बार समय पर इलाज नहीं हो पाता।

हम क्या कर सकते हैं?

40 साल की उम्र से पहले ही रेगुलर चेकअप शुरू करना चाहिए। खासकर बड़े शहरों में जहां तनाव रोजमर्रा का हिस्सा बन चुका है। ब्लड प्रेशर, लिपिड प्रोफाइल, फास्टिंग ग्लूकोज और रिस्क स्कोर का समय-समय पर मूल्यांकन युवाओं को हार्ट डिजीज से बचा सकता है।

हेल्दी आदतें अपनाएं: रोजाना कम से कम 30 मिनट हल्की या मीडियम एक्सरसाइज करें। शुगर और प्रोसेस्ड फूड कम खाएं। तंबाकू और शराब से बचें और तनाव को नियंत्रित करें।

वर्किंग कल्चर बदलें: कॉर्पोरेट वेलफेयर प्रोग्राम, हेल्दी वर्कप्लेस पॉलिसी और ईमेल पर छुट्टी के समय प्रतिबंध जैसी पहल मानसिक स्वास्थ्य सुधार सकती हैं और तनाव घटा सकती हैं।

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