CAA की अधिसूचना पर गृह मंत्री अमित शाह का विपक्ष पर हमला, कहा विपक्षी दल झूठ की राजनीति में लगे हुए हैं

Home Minister Amit Shah attacks opposition on CAA notification, says opposition parties are engaged in politics of lies

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले गृह मंत्रालय द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम ( CAA ) की अधिसूचना जारी किए जाने के बाद विपक्ष के हमले पर गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सभी विपक्षी दल झूठ की राजनीति में लिप्त हैं। उनके पास कोई मुद्दा नहीं हैं इसलिए वो मुद्दा विहीन राजनीति कर रही हैं।

कानून की अधिसूचना के समय पर वबाल

एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, कानून के अधिसूचना के समय को लेकर उन्होंने कहा कि बीजेपी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया है कि वह सीएए लाएगी और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगी। बीजेपी का एक स्पष्ट एजेंडा है और उस वादे के तहत, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 में संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था।

चार साल मे 41 बार किया गया घोषणा

चुनाव से पहले अधिसूचना जारी होने को लेकर गृह मंत्री ने कहा कि कोविड के कारण इसमें देरी हुई। लेकिन 2019 के चुनाव में पार्टी को जनादेश मिलने से पहले ही बीजेपी ने अपना एजेंडा साफ कर दिया था। जो अब औपचारिकता बन गए हैं। कानून को लेकर समय, राजनीतिक लाभ या हानि का कोई सवाल नहीं है। लेकिन विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति करके अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाहता है। मैं उनसे अनुरोध करना चाहता हूं कि वे बेनकाब हो गए हैं। पूरे देश में अलग अलग मंचों पर मैंने चार साल में लगभग 41 बार दोहराया है कि यह चुनाव से पहले लागू हो जाएगी।

बीजेपी के एजेंडे में था CAA

सीएए की अधिसूचना के विपक्ष द्वारा बीजेपी के राजनीतिक लाभ से जोड़ने को लेकर गृह मंत्री ने कहा कि भाजपा का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को अधिकार और न्याय प्रदान करना है। विपक्ष ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सवाल उठाए थे । अनुच्छेद 370 और CAA को राजनीतिक लाभ से जोड़ा नहीं जाना चाहिए। हम 1950 से कह रहे हैं कि हम अनुच्छेद 370 वापस लेंगे। सीएए का उद्देश्य सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से चले गए और 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए। इस कानून के माध्यम से, उनकी पीड़ाओं को समाप्त किया जा रहा है।

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