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Medical Preparation During War: जब मैदान में चल रही हो जंग, जानिए युद्ध के समय कैसी तैयारी करते है अस्पताल?

युद्ध के समय अस्पताल इलाज का नहीं, उम्मीद और इंसानियत का केंद्र बन जाते हैं। डॉक्टर, नर्सें और मेडिकल स्टाफ मिलकर दिन-रात घायल लोगों को बचाते हैं और युद्ध से दूर एक और बड़ी लड़ाई लड़ते हैं।

Sadaf Farooqui by Sadaf Farooqui
May 9, 2025
in राष्ट्रीय
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Medical Preparation During War: जब चारों तरफ गोलियों की आवाज और बम धमाकों की गूंज सुनाई देती है, तब असली जंग सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, बल्कि अस्पतालों में भी लड़ी जाती है। यहां डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ अपने हथियारों की जगह स्टेथोस्कोप, इंजेक्शन और दवाइयों के साथ इंसानों की ज़िंदगी बचाने के लिए हर पल तैयार रहते हैं। युद्ध के समय में अस्पताल सिर्फ इलाज करने की जगह नहीं होते, बल्कि ये इंसानियत और हिम्मत का सबसे बड़ा उदाहरण बन जाते हैं।

युद्ध के दौरान क्यों बढ़ जाती है अस्पतालों की जिम्मेदारी?

युद्ध चाहे किसी भी देश में हो, उसका सबसे गहरा असर आम लोगों और सैनिकों पर पड़ता है। घायल हुए लोगों को तुरंत इलाज की जरूरत होती है। ऐसे समय में अस्पतालों की भूमिका सबसे अहम होती है। इन जगहों पर न सिर्फ इलाज होता है, बल्कि दर्द में डूबे लोगों को उम्मीद और राहत भी मिलती है।

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इमरजेंसी प्लानिंग और खास इंतज़ाम

जैसे ही युद्ध की आशंका होती है, अस्पतालों में इमरजेंसी मोड चालू हो जाता है।

ICU बेड्स की संख्या बढ़ाई जाती है।

नए और अस्थायी वार्ड बनाए जाते हैं।

ब्लड बैंक में खून का स्टॉक भरकर तैयार रखा जाता है।

डॉक्टर और नर्सों की शिफ्ट्स बढ़ा दी जाती हैं ताकि 24 घंटे इलाज बिना रुके चलता रहे।

मेडिकल स्टाफ को दी जाती है खास ट्रेनिंग

युद्ध में घायल हुए लोगों की चोटें आम मरीजों से बहुत अलग होती हैं। ऐसे में डॉक्टरों और नर्सों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें सिखाया जाता है कि कैसे गोली लगने, बम ब्लास्ट से हुई चोट या जले हुए घावों का तुरंत इलाज करें। साथ ही मानसिक रूप से परेशान लोगों और उनके परिवारों के लिए काउंसलिंग टीम भी तैयार रहती है।

दवाइयों और मेडिकल सामान का स्टॉक तैयार

युद्ध के दौरान सप्लाई चेन टूट सकती है। इसलिए जरूरी दवाएं, सर्जिकल सामान और ऑक्सीजन सिलेंडर पहले से जमा कर लिए जाते हैं। इसके अलावा मोबाइल मेडिकल यूनिट्स भी तैयार की जाती हैं जो जरूरत पड़ने पर सीधे युद्ध क्षेत्र में जाकर घायल लोगों का प्राथमिक इलाज कर सकें।

ये भी पढ़ें:-Stay Connected Without Internet: अगर भारत में अचानक बंद हो जाए इंटरनेट, तो कैसे मिलेगा अपडेट? जानिए कुछ खास डिवाइस और टिप्स

अस्पतालों की असली लड़ाई

युद्ध में हार-जीत का फैसला शायद मैदान में होता है, लेकिन असली जीत उस जगह मिलती है जहां किसी को नया जीवन मिलता है – यानी अस्पतालों में। यहां काम करने वाले लोग हमें याद दिलाते हैं कि चाहे हालात कितने भी खराब क्यों न हो जाएं, इंसानियत और सेवा भावना सबसे बड़ी ताकत होती है।

Tags: emergency preparednessWar-time healthcare
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Sadaf Farooqui

Sadaf Farooqui

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