IAS Ajay Kumar Dwivedi: बेखौफ अफसर आईएएस अजय कुमार द्विवेदी, जो दबाव में नहीं झुकते, बने रामपुर के DM

आईएएस अजय कुमार द्विवेदी अपनी ईमानदारी, सख्त प्रशासनिक रवैये और निडर स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। सांसद से विवाद और जनता से जुड़ाव ने उन्हें यूपी के सबसे सम्मानित अधिकारियों में शामिल कर दिया है।

: IAS Ajay Kumar Dwivedi fearless honest office

The Fearless Officer Who Never Bows Down:उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा में कुछ अफसर ऐसे होते हैं, जो अपने काम के साथ-साथ अपने साहसिक निर्णयों के लिए भी पहचाने जाते हैं। उन्हीं में से एक हैं आईएएस अजय कुमार द्विवेदी, जिनका नाम आज पूरे प्रदेश में ईमानदारी और सख्त प्रशासन का प्रतीक बन चुका है। इन दिनों सोशल मीडिया पर उनकी पुरानी तस्वीरें और वीडियो फिर से वायरल हो रहे हैं, जिनमें वे श्रावस्ती जिले में खुद कुदाल चलाकर सफाई अभियान में जुटे नजर आते हैं। लोग उनकी इसी जमीन से जुड़े रवैये और काम के प्रति समर्पण की तारीफ कर रहे हैं।

शिक्षा से लेकर आईएएस तक का सफर

अजय कुमार द्विवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता एक साधारण नौकरी करते थे, जबकि मां गृहणी थीं। परिवार ने हमेशा उन्हें मेहनत और ईमानदारी की सीख दी। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से की, जहां से ही उन्होंने शिक्षा के प्रति गहरी लगन और अनुशासन सीखा।

पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले अजय ने आगे चलकर देश के प्रतिष्ठित आईआईटी दिल्ली से बीटेक की डिग्री हासिल की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे एक बड़ी कंपनी में नौकरी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने प्रशासनिक सेवा का रास्ता चुना। उनका मानना था कि “अगर बदलाव चाहिए तो व्यवस्था का हिस्सा बनना पड़ेगा।”

साल 2015 में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 17वीं रैंक हासिल कर सबको चौंका दिया। यह उनकी मेहनत, आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति समर्पण का प्रमाण था।

प्रशासनिक करियर की शुरुआत और सख्ती की पहचान

आईएएस बनने के बाद अजय द्विवेदी को उत्तर प्रदेश कैडर मिला। प्रशिक्षण के दौरान ही उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे नियमों से समझौता नहीं करते। 2017 में, जब वे बाराबंकी में ट्रेनी आईएएस के रूप में तैनात थे, तब एक घटना ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया।

तालाब की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई चल रही थी। इस दौरान स्थानीय बीजेपी सांसद प्रियंका सिंह रावत मौके पर पहुंचीं और कार्रवाई रोकने की मांग करने लगीं। मगर अजय द्विवेदी ने अपने फैसले से पीछे हटने से इनकार कर दिया। जब सांसद ने नाराजगी जताई, तो उन्होंने शांत स्वर में लेकिन दृढ़ता के साथ कहा
“आप जांच करा लें, अगर मेरा दोष साबित हो जाए तो सजा दे दीजिए।”

उनकी इस निर्भीक प्रतिक्रिया ने उन्हें रातों-रात चर्चा में ला दिया। लोग उन्हें “बेखौफ अफसर” कहने लगे, जो किसी भी राजनीतिक दबाव में नहीं झुकता।

जनता के बीच रहने वाले अफसर

अजय द्विवेदी हमेशा जनता के बीच जाकर काम करने में विश्वास रखते हैं। श्रावस्ती जिले में डीएम रहते हुए उन्होंने कई ऐसी पहलें शुरू कीं, जिनसे सीधे आम लोगों को लाभ मिला। सफाई अभियान के दौरान जब कर्मचारी ढिलाई दिखा रहे थे, तब उन्होंने खुद फावड़ा उठाया और लोगों के साथ मिलकर नाली साफ की।

उनकी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। लोगों ने कहा, “ऐसे अफसर ही असली बदलाव लाते हैं।”
अजय द्विवेदी मानते हैं कि “एक अधिकारी तभी सफल है, जब जनता उसे अपना साथी समझे, डरने की वजह नहीं।”

सोशल मीडिया पर फिर चर्चा में

हाल के दिनों में उनकी पुरानी घटनाएं और तस्वीरें दोबारा चर्चा में आई हैं। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें “ग्राउंड लेवल अफसर” और “रियल हीरो ऑफ यूपी एडमिनिस्ट्रेशन” कह रहे हैं।
उनकी बेबाकी और ईमानदारी का अंदाज़ आज भी लोगों के बीच प्रेरणा का स्रोत है।

अजय द्विवेदी आज उन अफसरों में से हैं, जो यह साबित करते हैं कि सिस्टम में रहकर भी बदलाव लाया जा सकता है। चाहे अतिक्रमण हटाना हो या भ्रष्टाचार पर सख्ती दिखानी हो। वे हर मौके पर जनता और कानून के साथ खड़े नजर आए हैं।

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