India First Hydrogen Train:स्वदेशी तकनीक से बनी पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन ट्रेन चलने को तैयार, कहां से कहां के बीच दौड़ेगी

भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन पूरी तरह तैयार है और जल्द ही सोनीपत-गोहाना-जींद के बीच पटरी पर दौड़ेगी। यह ट्रेन प्रदूषण रहित, ऊर्जा-कुशल और पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनाई गई है।

India first hydrogen powered passenger train

India First Hydrogen Train Ready to Run:देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन अब सफर के लिए पूरी तरह तैयार है। इसकी बोगियां और इंजन दिल्ली के शकूरबस्ती यार्ड में खड़े हैं, जबकि जींद में हाइड्रोजन प्लांट पर टेस्टिंग का काम तेजी से चल रहा है। यह ट्रेन भारतीय रेलवे के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम साबित होगी। यदि सब कुछ तय समय पर हुआ, तो दीपावली के बाद यह ट्रेन यात्रियों को लेकर दौड़ती दिखाई देगी। रेल मंत्रालय की आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) टीम हाइड्रोजन प्लांट के उपकरणों की जांच में जुटी है। इस प्रक्रिया में लगभग दस दिन लगने की संभावना है। इसके बाद रेलवे की दूसरी टीम अंतिम जांच करेगी और ट्रेन को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।

कैसी होगी देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन

यह ट्रेन पूरी तरह से ‘नमो ग्रीन रेल’ की तर्ज पर तैयार की गई है, जो न तो बिजली से चलेगी और न ही डीजल या पेट्रोल से। यह सिर्फ हाइड्रोजन ईंधन पर काम करेगी, जिससे धुआं या प्रदूषण नहीं होगा। ट्रेन की लंबाई 89 किलोमीटर के सोनीपत-गोहाना-जींद ट्रैक पर तय की गई है। इस ट्रेन में 8 बोगियां होंगी और यह 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। एक बार में लगभग 2,638 यात्री इसमें सफर कर सकेंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 120 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

जींद में शुरू हुआ हाइड्रोजन का उत्पादन

जींद में स्थापित हाइड्रोजन प्लांट से रोजाना लगभग 430 किलो हाइड्रोजन तैयार की जा रही है। यही हाइड्रोजन ट्रेन के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल होगी। प्लांट में तीन हजार किलो तक हाइड्रोजन का भंडारण किया जा सकेगा। इसके साथ ही, तेज़ ईंधन भरने के लिए विशेष कंप्रेसर और प्री-कूलर इंटीग्रेशन वाले डिस्पेंसर भी लगाए गए हैं। यह तकनीक पूरी तरह स्वदेशी है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली यह ट्रेन उत्सर्जन के रूप में केवल पानी और भाप छोड़ती है, जिससे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।

1200 हॉर्सपावर की ताकत वाला इंजन

अब तक दुनिया के कई देशों ने 500 से 600 हॉर्सपावर की हाइड्रोजन ट्रेनें बनाई हैं, लेकिन भारत ने इससे दोगुनी ताकत वाला 1200 हॉर्सपावर इंजन तैयार किया है। यह ट्रेन लंबी दूरी और पहाड़ी रूटों पर आसानी से चल सकेगी।

डीजल ट्रेनों की तुलना में हाइड्रोजन ट्रेन अधिक ऊर्जा-कुशल है और कम ईंधन में ज्यादा दूरी तय करेगी। इससे परिचालन लागत में कमी आएगी और यात्रियों को शांत, आरामदायक सफर मिलेगा क्योंकि यह ट्रेन बेहद कम शोर करती है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम

यह हाइड्रोजन ट्रेन पूरी तरह भारतीय तकनीक से बनी है। यह पहल न केवल भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जाएगी बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को भी मजबूत करेगी। दीपावली के बाद जब यह ट्रेन पहली बार ट्रैक पर दौड़ेगी, तो यह भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नई शुरुआत होगी।

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