अयोध्या की रामलीला में गूंजेगी भारत की विदेश नीति! 90 विदेशी कलाकार करेंगे महाकाव्य का मंचन

रामलीला के दौरान रूस से आए 15 कलाकार सीता स्वयंवर का दृश्य पेश करेंगे। उनके प्रदर्शन में रूसी रंगमंच की पारंपरिक शैली और भारतीय कथा का अनोखा संगम देखने को मिलेगा, जो दर्शकों को मोह लेगा।

Ayodhya News

Ayodhya News : भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या इस बार दीपोत्सव के नौवें संस्करण के साथ एक बार फिर भव्य सांस्कृतिक उत्सव का केंद्र बनने जा रही है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध विरासत और उसकी वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक बनने जा रहा है। अयोध्या अब एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच के रूप में उभर रही है, जहां दुनिया के कई देशों के कलाकार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीला को अपने-अपने अंदाज़ में जीवंत करेंगे।

इस वर्ष होने वाली अंतरराष्ट्रीय रामलीला में रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और श्रीलंका के कुल 90 विदेशी कलाकार भाग लेंगे। वे अपनी पारंपरिक नृत्य-नाट्य शैलियों और सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से रामकथा के विभिन्न प्रसंगों को प्रस्तुत करेंगे। यह आयोजन अयोध्या के रामकथा पार्क में होगा, जहां विभिन्न राज्यों की प्रसिद्ध रामलीलाओं का मंचन भी किया जाएगा।

रूसी कलाकारों की होगी विशेष प्रस्तुति

रूस से आए 15 कलाकार इस बार सीता स्वयंवर का मंचन करेंगे। उनके प्रदर्शन में रूसी रंगमंच की पारंपरिक तकनीक और भारतीय कथा की भावनात्मक गहराई का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। उन्होंने इस प्रस्तुति की तैयारी के लिए कई महीनों तक अभ्यास किया है। उनका उद्देश्य दर्शकों को राम और सीता के दिव्य मिलन की अनुभूति कराना है।

थाईलैंड से आए 10 कलाकार शूर्पणखा प्रकरण, राम-लखन और मारीच संघर्ष, तथा राम-रावण युद्ध जैसे युद्ध प्रसंगों का मंचन करेंगे। उनके पारंपरिक नृत्य और अभिनय की विशेष शैली इन दृश्यों को जीवंत बना देगी, जिससे धर्म और अधर्म के संघर्ष की कथा नए रूप में सामने आएगी।

इंडोनेशिया की प्रस्तुति में देखने को मिलेगा लंका दहन का दृश्य

इंडोनेशिया से आए 10 कलाकार लंका दहन और अयोध्या वापसी के दृश्य को प्रस्तुत करेंगे। उनकी कला रामकथा के महत्वपूर्ण क्षणों को सशक्त रूप में दर्शाएगी, जिससे अयोध्या की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाई मिलेगी। नेपाल से आए 33 कलाकार इस वर्ष पहली बार लक्ष्मण शक्ति प्रसंग का मंचन करेंगे।

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पहले नेपाल की रामलीला मुख्य रूप से मां सीता की कथा पर केंद्रित रहती थी, लेकिन इस बार वे रामकथा के नए आयाम को प्रस्तुत करेंगे, जिससे दर्शकों को एक नया दृष्टिकोण मिलेगा।  श्रीलंका से आए 22 कलाकारों की टीम ‘रावणेश्वरा’ का दृश्य प्रस्तुत करेगी। श्रीलंका में आज भी रावण को एक पूजनीय देवता के रूप में माना जाता है, और यह भाव उनके मंचन में स्पष्ट झलकेगा। टीम के दो कलाकार पहले ही अयोध्या पहुंच चुके हैं और अंतिम तैयारियों में जुटे हैं।

17 से 20 अक्टूबर तक चलेगी अंतरराष्ट्रीय रामलीला

अयोध्या अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के सलाहकार और विशेष कार्याधिकारी आशुतोष द्विवेदी के अनुसार, यह भव्य रामलीला 17 से 20 अक्टूबर तक आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल रामलीला की परंपरा को जीवंत रखना है, बल्कि भारतीय संस्कृति और वैश्विक एकता के संदेश को विश्व पटल पर स्थापित करना भी है। अयोध्या का यह दीपोत्सव इस बार केवल दीपों की रोशनी से नहीं, बल्कि विश्व की विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों से भी आलोकित होगा — जहां एक मंच पर रामकथा सचमुच “विश्वकथा” बनकर चमकेगी।

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