Afghanistan earthquake: पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहर प्रांत में रविवार देर रात 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने तबाही का मंजर खड़ा कर दिया। इस भीषण आपदा में 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जबकि 2500 से अधिक लोग घायल हैं। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) और अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र जालालाबाद शहर से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तर-पूर्व में था और इसकी गहराई मात्र 10 किलोमीटर थी। उथली गहराई के कारण झटकों का असर अत्यधिक विनाशकारी रहा। कई गांव पूरी तरह तबाह हो गए। तालिबान सरकार ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन दुर्गम इलाकों तक पहुंचने में भारी कठिनाइयां आ रही हैं।
Afghanistan Earthquake Update 🚨
622+ Deaths
700+ Injured
Officially ConfirmedA 6.2-magnitude earthquake struck Jalalabad in Nangarhar Province and Kunar Province.
Rescue Operation is Underway.
Prayers for Everyone ❤️🙏 #Afghanistan #AfghanistanEarthquake pic.twitter.com/xZsmuCsl9Y— Imran khan (@iamIMP_1) September 1, 2025
भूकंप का केंद्र, समय और तीव्रता
GFZ और USGS की रिपोर्ट के अनुसार, Afghanistan भूकंप रविवार रात 11:47 बजे (स्थानीय समय) आया, जब अधिकांश लोग सो रहे थे। यह झटका मध्यम श्रेणी का था, लेकिन उथली गहराई के कारण असर बेहद खतरनाक रहा। पहले झटके के बाद 12 आफ्टरशॉक्स आए, जिनमें दो प्रमुख थे—4.5 तीव्रता का 20 मिनट बाद और 5.2 तीव्रता का तीसरा झटका। यह क्षेत्र हिंदू कुश पर्वतमाला का हिस्सा है, जहां यूरोएशियन, इंडियन और अरबियन टेक्टॉनिक प्लेट्स के टकराव के चलते अक्सर भूकंप आते हैं। यहां सालाना 100 से ज्यादा भूकंप दर्ज होते हैं, लेकिन 6.0 से ऊपर के झटके दुर्लभ माने जाते हैं।
मौतें, घायल और तबाही का मंजर
नंगरहर स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता अजमल दर्वाइश ने बताया कि ज्यादातर मौतें मिट्टी के घरों के ढहने से हुईं। जालालाबाद, कुनार और आसपास के गांवों में कई घर पूरी तरह नष्ट हो गए। घायल लोगों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, लेकिन अस्पतालों की क्षमता सीमित होने से संकट गहरा गया है। पाकिस्तान की सीमा के पास होने के कारण पड़ोसी इलाकों में भी झटके महसूस हुए, हालांकि वहां किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है।
तालिबान सरकार, भारत और अंतरराष्ट्रीय मदद
Afghanistan तालिबान सरकार ने राहत टीमों को प्रभावित इलाकों में भेजा है, हालांकि दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण बचाव कार्य में बाधाएं हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने मदद की पेशकश की है। भारत ने भी सहायता का वादा किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पोस्ट करते हुए कहा, “अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में आए भूकंप से गहरी चिंता है। भारत इस मुश्किल घड़ी में अफगानिस्तान के साथ खड़ा है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की।
भूकंपीय इतिहास और खतरा
Afghanistan का हिंदू कुश क्षेत्र दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय जोनों में से एक है। यहां इंडियन प्लेट हर साल 39 मिमी/वर्ष की रफ्तार से यूरोएशियन प्लेट से टकरा रही है। इसी कारण पिछले 10 वर्षों में 6.0 से अधिक तीव्रता वाले 10 भूकंप 300 किमी के दायरे में दर्ज किए गए। 2015 का 7.5 तीव्रता वाला भूकंप और 2023 का 6.3 तीव्रता वाला भूकंप सबसे घातक रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भूस्खलन और ढहती इमारतों का खतरा बढ़ रहा है, जिससे तबाही और गहरी हो सकती है।