नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के अंदर सियासी उलटफेर होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। फिलहाल सबकी नजर बांग्लादेश पर है। आर्मी चीफ जनरल वकर-उज़-ज़मान की छात्र नेताओं से गुप्त मुलाकात और फिर एक छात्र नेता अब्दुल्लाह हसनत की ओर से इस हाई प्रोफाइल मीटिंग को सार्वजनिक किए जाने के बाद ढाका में ‘तख्तापलट’ के बड़े संकेत मिलने शुरू हो गए। ढाका में सेना का मार्च भी जारी है। बांग्लादेश में इस बात की जोर-शोर से चर्चा है कि शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के ’रिफाइंड वर्जन’ की राजनीति में वापसी हो सकती है। खुद आर्मी चीफ भी ये चाहते हैं कि देश में जल्द से जल्द चुनाव हो और जनती की चुनी हुई सरकार सत्ता में आए।
कौन हैं जनरल वकार
जनरल वकार ने 20 दिसंबर 1985 को बांग्लादेश सेना को ज्वाइन किया था। बांग्लादेश सैन्य अकादमी में 13वें बीएमए लॉन्ग कोर्स से ग्रेजुएशन होने के बाद में आए और उन्होंने काफी अहम पदों पर काम किया। वकार उज-जमा ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ बांग्लादेश से डिफेंस स्टडी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। उन्होंने लंदन के कॉलेज से डिफेंस स्टडी में एमए की डिग्री ली ळें सेना प्रमुख का पदभार संभालने से पहले वह 29 दिसंबर 2023 से बांग्लादेश सेना के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। नवंबर 2020 में उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में प्रमोशन किया गया था। जनरल जमान को 11 जून 2024 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ चुना गया था और 23 जून 2024 को उन्होंने कार्यभार संभाला। 23 जून से अगले तीन साल के लिए वकार उज जमान को आर्मी चीफ बनाया गया है।
शेख हसीना के चाचा के दमाद हैं आर्मी चीफ
बांग्लादेश के सेना प्रमुख की गिनती अच्छे अफसरों में की जाती है। देश की सेना के सबसे ऊंची रैंक के अधिकारी के रूप में वह देश की स्थिरता की रक्षा करने और मुश्किल घड़ी में चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। वहीं अब बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना से उनके साथ रिश्ते की बात करें तो वह एक दूसरे के रिश्तेदार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश सेना प्रमुख की पत्नी बेगम साराहनाज कामालिका रहमान शेख हसीना के चाचा की बेटी हैं। जनरल वकार के ससुर और शेख हसीना के चाचा मुस्तफिजुर रहमान हैं। वह 1997 से 2000 तक सेना की बागडोर संभाल चुके हैं। ऐसे में आर्मी चीफ शेख हसीना के बहनोई हुए। जब शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ था तब उन्हें सुरक्षित देश से बाहर बांग्लादेश के आर्मी चीफ ने ही निकाला था।
वकार उज-जमान ने संतुलन नहीं खोया
जनरल वकार उज-जमान की योजना को समझने से पहले उन्हें जानना जरूरी होगा। पिछले साल जुलाई में हुए छात्र विरोध प्रदर्शन जनरल जमान के लिए परीक्षा की घड़ी थे। उस समय सेना के फैसलों की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि आर्मी चीफ जमान छात्रों के खिलाफ बेहिसाब बल प्रयोग के खिलाफ थे, क्योंकि इससे सेना लोगों की नजर में खलनायक बन जाती। उस संकट में भी वकार उज-जमान ने संतुलन नहीं खोया। उन्होंने छात्रों पर गोली चलाने से इनकार तो किया, साथ ही शेख हसीना और उनके करीबी मंत्रियों और सलाहकारों को सुरक्षित बाहर निकलने की अनुमति देकर खून-खराबे से भी बचा लिया। यह एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद उन्होंने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाने की पहल की।
जबकि छात्र नेता इससे नाराज हैं
इनसब के बीच छात्र नेता हसनत अब्दुल्ला ने सेना पर अवामी लीग को पुनर्वासित करने का आरोप लगाया था। उन्होंने जनरल जमान को एक भारतीय कठपुतली बताने की कोशिश की, जो नई दिल्ली के आदेश पर सत्ता हथिया सकते हैं। हालांकि, जनरल जमान को जानने वालों का कहना है कि वह किसी की कठपुतली नहीं हैं। सेना प्रमुख अवामी लीग समेत सभी दलों के लिए समान अवसर चाहते हैं और वे जल्द से जल्द चुनाव चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जाए। जबकि छात्र नेता इससे नाराज हैं। उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली है और वे चुनावों के लिए समय चाहते हैं। इसके साथ ही छात्र नेता देश में सबसे बड़े जनाधार वाली अवामी लीग पर प्रतिबंध चाहते हैं।
चुनाव के लिए नई टीम का गठन कर सकते
जानकार बताते हैं कि इन स्थितियों में जनरल जमान छात्र नेताओं पर दबाव नहीं बनाएंगे, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें नियंत्रित करना चाहेंगे ताकि कानून व्यवस्था बेकाबू न हो जाए। वह चाहते हैं कि अंतरिम सरकार चुनाव की घोषणा और उसे निष्पक्ष रूप से 2025 के अंदर कराए। ऐसे में सवाल है कि अगर यूनुस उनकी बात नहीं मानते हैं तो वे किस हद तक जा सकते हैं। बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत राष्ट्रपति आपातकाल घोषित कर सकते हैं। इसके लिए जनरल जमान राष्ट्रपति शहाबुद्दीन चप्पू को समर्थन दे सकते हैं। राष्ट्रपति अंतरिम सरकार को बर्खास्त कर सकते हैं और समय से पहले और समावेशी चुनाव के लिए नई टीम का गठन कर सकते हैं।
बांग्लादेश की राजनीति में तूफान मचा दिया
इनसब के बीच ढाका में चल रही घटनाओं पर स्वीडन की समाचार एजेंसी नेत्र न्यूज ने एक रिपोर्ट फाइल की है। नेत्र न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है, सेना मुख्यालय ने स्वीकार किया कि उसके प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने 11 मार्च को ढाका छावनी में हसनत अब्दुल्ला से मुलाकात की थी। बता दें, हसनत अब्दुल्ला एक पूर्व छात्र कार्यकर्ता हैं। हसनत अब्दुल्लाह ने आर्मी चीफ से गुप्त मुलाकात का ब्यौरा सार्वजनिक कर बांग्लादेश की राजनीति में तूफान मचा दिया है। हसनत ने इस मुलाकात का ब्यौरा सार्वजनिक करते हुए कहा है कि मीटिंग के दौरान उन्हें प्रस्ताव दिया गया था कि वे आवामी लीग की बांग्लादेश की राजनीति में फिर से आने दें। इसके बदले में उन्हें राजनीतिक फायदा दिया जाएगा। जिसे छात्र नेता नेता हसनत अब्दुल्लाह ने मामने से इंकार कर दिया है।
और चौकियां बना दी गई
कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए संयुक्त सुरक्षा बलों ने पूरे शहर में अभियान तेज कर दिया है। सेना की गश्त और चौकियां बढ़ा दी गई हैं। सेना के जवानों को रामपुरा, शांतिनगर, ककरैल, नेशनल प्रेस क्लब क्षेत्र, बैतुल मुकर्रम, मोहाखाली, बिजॉय सरानी, गुलशन और खिलखेत सहित कई प्रमुख स्थानों पर गश्त बढ़ा दी गई है और चौकियां बना दी गई है। सेना ने 9वीं डिवीजन के सैनिकों को बख्तरबंद वाहनों के साथ ढाका में तैनात करने का आदेश भी दे दिया है। सेना की गतिविधियों को देखकर कई मतलब निकाले जा रहे हैं।









