रविवार को बांग्लादेशी अधिकारियों ने पूरे देश में कर्फ्यू बढ़ा दिया, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय से सिविल सेवा भर्ती कोटा पर निर्णय आने की उम्मीद थी। स्थानीय मीडिया के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में अधिकांश कोटा खत्म कर दिया है, जिसके कारण छात्रों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं।
न्यायालय का निर्णय और सरकार की प्रतिक्रिया
न्यायालय के अपीलीय प्रभाग ने पिछले महीने कोटा बहाल करने वाले निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया था। अटॉर्नी जनरल एएम अमीन उद्दीन ने एएफपी समाचार एजेंसी को बताया: “सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि उच्च न्यायालय का फैसला अवैध था।” उन्होंने कहा कि सिविल सेवा की 5 प्रतिशत नौकरियां स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के बच्चों के लिए और 2 प्रतिशत अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित रहेंगी। इससे पहले, 30 प्रतिशत नौकरियाँ युद्ध के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित थीं।
प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 2018 में कोटा प्रणाली को खत्म कर दिया था, लेकिन निचली अदालत ने पिछले महीने इसे फिर से लागू कर दिया, जिससे घातक विरोध प्रदर्शन हुए और सरकार ने कार्रवाई की। इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपना विदेश दौरा भी रद्द कर दिया।
छात्रों के विरोध और हिंसा की स्थिति
बांग्लादेश में छात्र स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि आरक्षण को घटाकर 10 प्रतिशत किया जाए और इसे योग्यता-आधारित प्रणाली से बदला जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोटा प्रणाली प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को फ़ायदा पहुँचाती है, जिनकी अवामी लीग पार्टी ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था।
हिंसा के चलते अब तक 150 लोग मारे जा चुके हैं और 2500 से अधिक घायल हुए हैं। स्थिति पर काबू पाने के लिए सरकार ने देश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू को बढ़ा दिया है। कई शहरों में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है।
पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
2018 में भी आरक्षण को लेकर इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद सरकार ने कोटा सिस्टम पर रोक लगा दी थी। मुक्ति संग्राम में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कुल 56% आरक्षण है। इनमें से 30% 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10% महिलाओं के लिए, 10% पिछड़े इलाकों से आने वाले लोगों के लिए, 5% जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और 1% विकलांगों के लिए है।
आज से ग़ाज़ियाबाद में कई रोड रहेंगे बंद, जानिए कौन से रूय में हुआ चेंज
बांग्लादेश इस समय हिंसा की आग में जल रहा है और सरकार द्वारा लागू किए गए कर्फ्यू और प्रतिबंधों के बावजूद स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। न्यायालय के फैसले के बाद सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है।