Dire Wolf Is Back,वैज्ञानिकों ने अब वो कर दिखाया है, जो पहले सिर्फ फिल्मों में ही देखा गया करता था। अमेरिका की एक बायोटेक कंपनी ‘कोलॉसल बायोसाइंसेस’ (Colossal Biosciences) ने करीब 13,000 साल पहले धरती से पूरी तरह गायब हो चुके डायर वुल्फ (Dire Wolf) को फिर से जिंदा कर दिया है। ये काम जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी की मदद से किया गया है। ये वैज्ञानिक उपलब्धि कई मायनों में खास है, क्योंकि अब ऐसी प्रजातियों को भी वापस लाया जा सकता है जो इंसानों की लापरवाही या प्रकृति के बदलावों की वजह से विलुप्त हो गई थीं।
कैसे हुआ ये चमत्कार?
वैज्ञानिकों ने डायर वुल्फ की हड्डियों और दांतों से उसका डीएनए निकाला और फिर ग्रे वुल्फ की जीन संरचना में 20 बदलाव किए। इसके बाद इन एडिट किए गए जीन से भ्रूण तैयार किए गए और उन्हें एक मादा कुत्ते के गर्भ में प्रत्यारोपित किया गया। कुछ समय बाद तीन पिल्ले पैदा हुए जिनका नाम रोमुलस, रेमुस और खलीसी रखा गया। ये पिल्ले दिखने में डायर वुल्फ जैसे लगते हैं और इनका व्यवहार भी लगभग वैसा ही है।
क्या ये सच में डायर वुल्फ हैं
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये पिल्ले पूरी तरह डायर वुल्फ नहीं हैं। उनका कहना है कि सिर्फ जीन में बदलाव करके किसी प्रजाति की नकल तो की जा सकती है, लेकिन वह असली नहीं हो सकती। यानी, ये पिल्ले असल में जेनेटिकली मॉडिफाइड ग्रे वुल्फ हैं, न कि पक्के डायर वुल्फ।
डायनासोर भी लौट सकते हैं क्या
अब सवाल उठता है कि क्या डायनासोर भी दोबारा जिंदा किए जा सकते हैं? जवाब है। शायद नहीं। वजह ये है कि डायनासोर करोड़ों साल पहले खत्म हो गए थे और उनका डीएनए अब पूरी तरह नष्ट हो चुका है। डीएनए के बिना किसी भी जीव को फिर से बनाना नामुमकिन है। इसलिए फिलहाल डायनासोर की वापसी संभव नहीं लगती।
क्या ये ठीक है? नैतिक और पर्यावरणीय सवाल
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लुप्त प्रजातियों को दोबारा लाना एक रोमांचक खोज जरूर है, लेकिन इससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है। अगर इन नए जानवरों का व्यवहार थोड़ा भी अलग हुआ, तो इससे पर्यावरण और इंसानों दोनों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में ये सवाल भी उठता है कि क्या हमें नई तकनीकों के बजाय मौजूदा जीव जंतुओं को बचाने पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए