अमेरिका की दवा नियामक संस्था FDA कोविड-19 वैक्सीन, खासकर mRNA वैक्सीन (फाइज़र–बायोएनटेक और मॉडर्ना) के लेबल पर ब्लैक बॉक्स वार्निंग जोड़ने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित चेतावनी मुख्य रूप से युवाओं, खासकर 12–24 साल के पुरुषों में पाए गए दुर्लभ लेकिन गंभीर साइड इफेक्ट मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशी में सूजन) और पेरिकार्डिटिस (दिल के बाहरी आवरण की सूजन) से जुड़ी होगी; अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन बहस तेज है।
ब्लैक बॉक्स वार्निंग क्या होती है?
ब्लैक बॉक्स या बॉक्स्ड वार्निंग FDA की सबसे सख्त सुरक्षा चेतावनी है जो किसी भी दवा या वैक्सीन के पैकेज और प्रिस्क्राइबिंग जानकारी पर काले बॉक्स में हाइलाइट की जाती है।
यह चेतावनी उन स्थितियों में लगाई जाती है जब किसी दवा से जानलेवा, जीवन-घातक या स्थायी नुकसान पहुँचाने वाले साइड इफेक्ट का स्पष्ट जोखिम सामने आता है, या जब कुछ खास समूहों/स्थितियों में दवा का जोखिम लाभ से अधिक हो सकता है।
इसका मतलब यह नहीं कि दवा/वैक्सीन पर पूरी तरह प्रतिबंध लग जाता है; बल्कि डॉक्टर और मरीज को गंभीर जोखिमों के बारे में स्पष्ट जानकारी देकर सावधानी से उपयोग का संकेत होता है।
कोविड वैक्सीन पर अब तक क्या चेतावनियाँ हैं?
FDA पहले ही mRNA कोविड-19 वैक्सीन के प्रिस्क्राइबिंग इंफॉर्मेशन में मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस का जोखिम जोड़ चुका है।
जून 2025 के अपडेट के अनुसार, 2023–24 फॉर्मूला के बाद उपलब्ध डेटा दिखाता है कि इन वैक्सीन के बाद मायोकार्डिटिस/पेरिकार्डिटिस का अवलोकित जोखिम 12–24 वर्ष के पुरुषों में सबसे ज़्यादा है, अनुमानित दर लगभग 27 केस प्रति 10 लाख डोज (करीब 1 प्रति 37,000) के आसपास बताई गई है।
अधिकांश केस हल्के रहे, कुछ दिनों की सीने में दर्द, धड़कन तेज होने या साँस फूलने जैसे लक्षणों के बाद उपचार से ठीक हो गए, और CDC के डेटा के अनुसार ऐसे मामलों में मौत या हार्ट ट्रांसप्लांट के उदाहरण अत्यंत दुर्लभ हैं।
फिर भी नई स्टडीज़ में यह भी दिखा कि कुछ मरीजों में 5 महीने के फॉलोअप के बाद भी कार्डिएक MRI पर हल्की असामान्यताएं बनी रह सकती हैं, इसलिए FDA ने चेतावनी को और विस्तार देकर उम्र–समूह और संभावित दीर्घकालिक जोखिम के बारे में ज्यादा स्पष्ट भाषा जोड़ने को कहा।
अब ब्लैक बॉक्स वार्निंग पर क्यों बहस हो रही है?
ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, FDA आंतरिक स्तर पर इस बात पर विचार कर रहा है कि mRNA कोविड वैक्सीन पर मौजूद चेतावनी को अपग्रेड कर ब्लैक बॉक्स वार्निंग बनाया जाए, ताकि मायोकार्डिटिस–पेरिकार्डिटिस जैसे दुर्लभ लेकिन गंभीर जोखिमों को और साफ ढंग से हाईलाइट किया जा सके।
कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि अब जब काफी पोस्ट–मार्केट डेटा उपलब्ध है और खासकर युवा पुरुषों में मायोकार्डिटिस का स्पष्ट लेकिन छोटा जोखिम दिख गया है, तो उच्चतम स्तर की चेतावनी पारदर्शिता बढ़ाएगी और सही लोगों–सही डोज–सही अंतराल चुनने में मदद करेगी।
दूसरी ओर, कई पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ और वैक्सीन सुरक्षा विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ब्लैक बॉक्स लेबल लगाने से आम जनता के मन में यह गलत संदेश जा सकता है कि “वैक्सीन बहुत खतरनाक है” और इससे टीकाकरण कवरेज गिर सकता है, जबकि कोविड इन्फेक्शन खुद मायोकार्डिटिस और अन्य गंभीर जटिलताओं का जोखिम वैक्सीन से ज्यादा बढ़ाता है।
उनका कहना है कि उपलब्ध डेटा के अनुसार प्रति मिलियन डोज पर मायोकार्डिटिस के केस दर्जनों की संख्या में हैं, जबकि कोविड संक्रमण से अस्पताल में भर्ती, ICU और मौत के जोखिम कहीं अधिक हैं; ऐसे में ब्लैक बॉक्स से लाभ–हानि का संतुलन आम लोगों की नज़र में विकृत दिख सकता है।
लोगों के लिए इसका क्या मतलब होगा?
अगर अंतिम रूप से ब्लैक बॉक्स वार्निंग लगती है, तो:
डॉक्टरों को खासकर 12–29 वर्ष के पुरुषों, पहले से दिल की बीमारी वाले मरीजों, या मायोकार्डिटिस की पूर्व–इतिहास वाले लोगों के लिए वैक्सीन पर निर्णय लेते समय अतिरिक्त सावधानी और विस्तृत काउंसलिंग करनी होगी।
वैक्सीन पाने वाले लोगों को भी यह जानकारी स्पष्ट रूप से दी जाएगी कि अगर टीकाकरण के कुछ दिनों के भीतर सीने में दर्द, साँस फूलना या तेज़ धड़कन जैसे लक्षण आएँ तो तुरंत मेडिकल मदद लें।
पब्लिक हेल्थ दृष्टि से संदेश यह रहेगा कि गंभीर कोविड से बचाव और मौतों को रोकने में वैक्सीन अभी भी प्रभावी हैं, लेकिन कुछ छोटे समूहों में दुर्लभ हृदय–साइड इफेक्ट का जोखिम है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
अभी तक FDA की ओर से आधिकारिक अंतिम नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है; जैसे ही एजेंसी अपना औपचारिक निर्णय और भाषा प्रकाशित करेगी, तब यह स्पष्ट होगा कि चेतावनी कितनी सख्त और किस उम्र–समूह पर केंद्रित होगी।



