International news : जर्मनी में अब सत्ता परिवर्तन तय माना जा रहा है। चांसलर चुनाव में फ्रेडरिक मर्ज़ की कंजरवेटिव पार्टी ने बढ़त बना ली है, जबकि मौजूदा चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने हार स्वीकार कर ली है। हालांकि, मर्ज़ की पार्टी को अभी पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन वे बहुमत के बेहद करीब हैं। ऐसे में उनके लिए सरकार बनाना अपेक्षाकृत आसान लग रहा है।
सरकार बनाने की राह आसान नहीं
फ्रेडरिक मर्ज़ ने कहा कि वे ईस्टर तक एक स्थिर गठबंधन सरकार बनाने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होगा। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। मर्ज़ का कहना है कि उनका लक्ष्य जल्द से जल्द एक मजबूत और प्रभावी गठबंधन तैयार करना है, ताकि देश की राजनीतिक स्थिरता बनी रहे।
दुनिया पर पड़ेगा असर
जर्मनी यूरोपीय संघ (EU) के 27 देशों में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और नाटो (NATO) का एक अहम सदस्य भी है। इसके अलावा, यह अमेरिका के बाद यूक्रेन को हथियार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। ऐसे में सत्ता परिवर्तन का असर यूक्रेन युद्ध और अन्य वैश्विक मुद्दों पर पड़ सकता है। जर्मनी की विदेश नीति में बदलाव होने की संभावना भी जताई जा रही है, जिसका असर यूरोप के साथ-साथ पूरी दुनिया पर दिख सकता है।
नई सरकार से क्या उम्मीदें
अगर फ्रेडरिक मर्ज़ सफलतापूर्वक सरकार बना लेते हैं, तो उनकी प्राथमिकता देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी की भूमिका को और प्रभावी बनाना होगा। साथ ही, उन्हें अपनी पार्टी के सहयोगी दलों को भी संतुष्ट रखना होगा, ताकि सरकार सुचारू रूप से काम कर सके।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मर्ज़ कब तक सरकार बनाने में सफल होते हैं और उनकी नीतियां देश और दुनिया को किस दिशा में लेकर जाती हैं।